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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं जो समझमें नहीं आ सकतीं। इन्हें समझने के लिए हमें धीरज रखना होगा। लेकिन एक बात निश्चित है; वह यह कि जबतक यह उन्माद-भरी दौड़, जिसमें शरीरका ही महत्त्व है, चलती रहेगी, तबतक शरीरके भीतर प्रतिष्ठित अमर आत्मा दुर्बल ही रहेगी।

[अंग्रेजीसे]
इंडिया, २२-१०-१९०९

३०६. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अक्तूबर १४, १९०९

लॉर्ड महोदय,

जोहानिसबर्गसे अभी एक तार मिला है। इसमें कहा गया है:

श्री स्मट्सने अखबारों [के प्रतिनिधियों] से कहा है कि वे अपने प्रस्तावों के बारेमें मन्त्रीके उत्तरकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मैं इस तारका अर्थ यह लगाता हूँ कि लॉर्ड क्रू के जिस पत्रका मैंने जवाब भेजा है, उस पत्रमें उल्लखित प्रस्ताव श्री स्मट्सके मूल प्रस्ताव हैं; और श्री स्मट्स यह जाननेको ठहरे हुए हैं कि अगर ये प्रस्ताव अमलमें लाये जायेंगे तो क्या अनाक्रामक प्रतिरोध बन्द हो जायेगा। अभी लॉर्ड क्रू का कोई उत्तर नहीं मिला है।[१] मुझे यह साफ दिखाई देता है कि अगर लॉर्ड क्रू और लॉर्ड मॉर्लेको अपना कर्तव्य निभाना है तो उसके लिए ठीक अवसर यही है। दक्षिण आफ्रिकाके लिए जहाजमें बैठनेसे पहले साउदैम्टनमें श्री स्मट्सने जब रायटरके प्रतिनिधिको वक्तव्य दिया था तब वे बहुत प्रसन्न और आश्वस्त होकर बोले थे। उनका खयाल था कि अनाक्रामक प्रतिरोधियोंमें अब लड़नेका दम नहीं रहा। यह साफ है कि प्रिटोरिया पहुँचनेपर उनका यह भ्रम दूर हो गया। इसलिए अब वे जानना चाहते हैं कि हम यहाँके लोग उनके प्रस्तावोंको मानने और अनाक्रामक प्रतिरोधको बन्द करनेकी सलाह देनेके लिए तैयार हैं। या नहीं। आन्दोलन बन्द होना सैद्धान्तिक अधिकार दिये बिना असम्भव है। श्री डोकने मुझे एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि अनाक्रामक प्रतिरोधी दक्षिण आफ्रिकासे उनके पत्रकी रवानगीके वक्त जितने मजबूत थे उतने मजबूत पहले कभी नहीं रहे।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१२५) से।

 
  1. गांधीजीको उत्तर दूसरे दिन मिल गया था; देखिए "पत्र: उपनिवेश-उपमन्त्रीको", पृष्ठ ४८६-८७।