पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/५१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८१
पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

स्वरका अभ्यस्त बनाना चाहता हूँ तो मैं ऐसा एक अंग्रेजसे बात करके और उसको बात करते हुए सुनकर ही कर सकता हूँ।

अब मैं समझता हूँ कि मैं आपको बहुत बड़ी खुराक दे चुका हूँ। मुझे आशा है, आप इसे पचा सकेंगे। बहुत सम्भव है कि आप भी, भारतके अपने विविध अनुभवोंके आधारपर, शायद स्वतंत्र रूपसे इसी निष्कर्षपर पहुँचे हों, क्योंकि आपकी कल्पनाशक्ति और व्यावहारिक ज्ञान जबरदस्त है। आखिर ये निष्कर्ष नये तो नहीं हैं; अभी तो इन्होंने निश्चित रूपमात्र लिया है और मुझे एकदम आक्रान्त कर लिया है।

मुझे अभी-अभी जोहानिसबर्गसे निम्नलिखित तार मिला है:

स्मट्सने अखबारों [के प्रतिनिधियों] से कहा है कि वे अपने प्रस्तावोंके बारेमें उपनिवेश-मन्त्रीके उत्तरकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। लन्दनकी समिति फिलहाल काम जारी रख रही है।

इस तारका अर्थ यह है कि जोहानिसबर्गमें इस प्रश्नपर कुछ हलचल मची हुई है और स्मट्स अनाक्रामक प्रतिरोधको कुचलनेके बारेमें आशान्वित नहीं हैं। इससे यह भी प्रकट होता है कि अगर लॉर्ड क्रू पूरी शक्तिसे प्रयत्न करें तो वे समझौता करा सकते हैं। लेकिन [तबतक] में तो लड़ाई जारी ही रखनी होगी। सो, लन्दनकी समिति अपना काम जारी रख रही है। इससे हालत बदलती नहीं, और रिचकी स्थिति सुधर जाती है।

बेचारी श्रीमती रिचको एक और ऑपरेशन कराना होगा। सम्भव है, वे उससे न उबरें। अगर उनकी यह जिन्दा मौत असली मौत बन जाये तो उनको बड़ी राहत मिलेगी।

बादमें—इस पत्रका इससे पहला भाग समाप्त होनेपर यहाँ मिली आ गई थीं। चूँकि मेरे खयालसे यह पत्र महत्त्वपूर्ण था, इसलिए मैंने उन्हें पढ़कर सुना दिया। इसके बाद उपयोगी विचार-विमर्श हुआ, जिसकी कल्पना आप खुद कर सकते हैं।

श्री अली इमाम अब भी यहीं हैं। मेरा खयाल है कि वे सोमवारको रवाना होंगे।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५१२७), हस्तलिखित अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल और 'एम॰ के॰ गांधी एंड साउथ आफ्रिकन प्रोब्लेम' से।

 
९-३१