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३१२. पत्र: उपनिवेश-उपमन्त्रीको

[ लन्दन ]
अक्तूबर १९, १९०९

महोदय,


मुझे आपका इसी १५ तारीखका पत्र[१] प्राप्त करनेका सौभाग्य मिला।

इस पत्रने मुझे और मेरे साथीको बड़ी अनिश्चित अवस्थामें डाल दिया है। पिछले महीनेकी १६ तारीखको श्री हाजी हबीब और मैं जब लॉर्ड क्रू से मिले थे तब उन्होंने कृपापूर्वक हमसे कहा था कि मैंने जो प्रस्ताव रखा है, उसे वे उचित मानते हैं और मंजूरीके लिए स्मट्सके सामने पेश करेंगे। जिस पत्रका यह उत्तर है, उसमें यह नहीं बताया गया है कि वह प्रस्ताव श्री स्मट्सके सामने रखा गया या नहीं और अगर रखा गया था तो उसके बारेमें उन्होंने क्या फैसला किया है। जहाँतक जनता [के सामने मामला रखने] का सम्बन्ध है, हमने बिल्कुल कुछ नहीं किया है, और जबतक मेरे रखे प्रस्तावके आधारपर बातचीत चलती है, तबतक यह रुख बनाये रखना हम अपना कर्तव्य समझेंगे ताकि बातचीतको हानि न पहुँचे। मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि लॉर्ड महोदय हमारे इस रुखको समझेंगे। ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय बहुत दिनोंसे जो भारी तकलीफें सह रहे हैं, उनका अन्त तभी हो सकता है जब मेरे प्रस्तावके अनुसार पढ़े-लिखे ब्रिटिश भारतीयोंका सैद्धान्तिक अधिकार सुरक्षित कर दिया जाये। क्या श्री स्मट्स ट्रान्सवालके मन्त्रियोंके सामने और ट्रान्सवाल-संसदमें अपने उसी मूल प्रस्तावको रखना चाहते हैं जो उन्होंने यहाँसे दक्षिण आफ्रिकाको रवाना होते वक्त रखा था? अगर ऐसी बात है तब तो हम सादर निवेदन करते हैं कि जहाँतक ब्रिटिश भारतीयोंका सम्बन्ध है, उन्हें निष्क्रियताकी नीतिसे कोई लाभ न होगा। मुझे विश्वास है, लॉर्ड महोदय इस बातसे सहमत होंगे कि हमें बातचीतके सम्बन्ध में निश्चित स्थिति मालूम होनी चाहिए, ताकि हम उसको ध्यानमें रखकर अपना व्यवहार निश्चत करें और, जहाँतक यह हमारे वशकी बात है, इस बातचीतमें सहायक हों। इसलिए क्या मैं आपसे बातचीतके बारेमें जल्दी ही ज्यादा पूरी जानकारी देनेकी प्रार्थना कर सकता हूँ?

मैं यह भी कह दूँ कि जोहानिसबर्गसे एक तार मिला है, जिसमें कहा गया है कि श्री स्मट्सने एक संवाददातासे कहा है, वे अर्ल ऑफ़ क्रू के उत्तरकी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और

  1. यह गांधीजीके ८ अक्तूबर के पत्रके उत्तर-स्वरूप था। इसमें लिखा था:

    "...इस विभागके इसी ४ तारीखके पत्र में ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके प्रश्नसे सम्बन्धित कानूनके सम्भावित आधारके रूपमें जिन प्रस्तावोंका संकेत किया गया है, वे श्री स्मट्सके प्रस्ताव हैं। ये प्रस्ताव उन्होंने यहाँसे रवाना होनेसे पहले रखे थे। ये प्रस्ताव वे नहीं हैं जो आपने पिछले महीनेकी १६ तारीखकी मुलाकात में रखे थे।

    "मुझे यह भी कहना है कि इस विवादके सम्बन्ध में आपको क्या कदम उठाना है, यह प्रश्न तो आपके ही तय करनेका है। लेकिन, इसमें मुझे कोई शक नहीं है कि आप जो रास्ता अपनाना चाहते हैं, उसका श्री स्मट्स के प्रस्तावोंके प्रति ट्रान्सवाल सरकार और ट्रान्सवाल-संसदके रुखपर क्या असर पड़ेगा, इस बातका आप खयाल रखेंगे। साथ ही आप यह भी सोच लेंगे कि आगे कार्रवाई करनेसे पहले इस मामले में सरकारकी नीतिकी घोषणा होने तक रुका रहना क्या ज्यादा अच्छा न होगा।"