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पत्र: लॉड ऍम्टहिलको

यह उत्तर मिलनेपर ही वे इस प्रश्नपर अपने प्रस्तावोंके सम्बन्धमें कोई सार्वजनिक वक्तव्य देंगे। जबतक हमें यह न मालूम हो कि लॉर्ड महोदयने पिछले महीनेकी १६ तारीख की मुलाकातके वक्त जो कार्रवाई करनेकी बात कही थी उसका क्या हुआ, तबतक हमारे लिए यह तय करना कठिन हो जाता है कि हम अब क्या रास्ता अख्तियार करें।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, २९१/१४२, और टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१३६) से भी।

३१३. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अक्तूबर १९, १९०९

लॉर्ड महोदय,

आपके इसी १८ तारीखके पत्रके लिए और आपकी बहुत ही कृपापूर्ण और अच्छी सलाहके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।[१]

अब मैंने एक पत्र लॉर्ड क्रू को भेजा है।[२] उसकी नकल इस पत्रके साथ भेज रहा हूँ। मेरा खयाल है कि इसमें आपके पत्र के सारे मुद्दे आ गये हैं। आशा है, इसे आप पसन्द करेंगे।

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ५१३७) से।

  1. अपने १८ अक्तूबरके पत्रमें लॉर्ड ऍम्टहिलने लिखा था: "बेशक यह आशा तो थी ही कि उपनिवेश कार्यालय आपको चुप रखना चाहेगा, और यह तय करना मुश्किल है कि उसकी यह सलाह कहाँ तक निष्पक्ष है या निष्पक्ष नहीं है। कार्यालयका कहना है कि विचार जनरल स्मट्सके प्रस्तावोंपर किया जा रहा है; लेकिन उसने आपको यह नहीं बताया कि लॉर्ड क्रू ने ट्रान्सवाल सरकारको यह बतानेके लिए कोई कदम उठाया है या नहीं कि ये प्रस्ताव बिल्कुल अपर्याप्त हैं। अगर आपकी जगह मैं होता तो मैं कोई दूसरा काम करनेसे पहले पत्र लिखकर या मिलकर उपनिवेश कार्यालयका ध्यान इस ओर दिलाता। मैं कहता, यद्यपि हम स्वभावतः उस बातचीत में उलझन डालना नहीं चाहते, जो हमारी ओरसे चलाई जा रही है, फिर भी हमें यह विश्वास तो दिलाया जाना चाहिए कि आपकी ताज़ी लिखा-पढ़ीकी उपेक्षा तो नहीं की जा रही है। मैं उन्हें बिल्कुल साफ-साफ, लेकिन मुनासिब और सावधानीसे चुने हुए शब्दोंमें कहता, हम असन्तोषजनक 'समझौते' की बातचीत नहीं होने दे सकते। हमें इस बारे में बातचीतसे अलग रखा जा रहा है। जब यह खत्म हो जायेगी और हम आपत्ति करने के लिए मजबूर हो जायेंगे तब हमें कहा जायेगा कि 'आप तो नये सवाल उठा रहे हैं।' मैं समझता हूँ कि उन्होंने आपको इस तरह अपनी बात रखनेका मौका दिया है। आपको अपनी बात एक चतुराई-भरे कूटनीतिक तरीकेसे कैसे रखनी है, यह अच्छी तरह मालूम है। आपको इस तरह टाला और प्रतीक्षा करनेपर मजबूर किया जा रहा है, उससे आपको अवश्य ही हैरानी होती होगी। मैं आशा करता हूँ कि उपनिवेश कार्यालय सीधा तरीका बरत रहा होगा और आपने धीरज और आत्म-संयमका जो साफ सबूत दिया है, उससे अपना मतलब नहीं गाँठ रहा होगा।
  2. देखिए पिछला शीर्षक।