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प्रार्थनापत्र : उपनिवेश मन्त्रीको

२५. पुराने कानूनको बरकरार रखने से बेईमान एशियाइयोंके लिए जालसाजीका मार्ग खुलता है । यद्यपि नये कानूनमें उपनिवेशके बाहर दक्षिण आफ्रिकाके किसी स्थानसे पंजीयन प्रार्थनापत्र देने की व्यवस्था है, फिर भी उसमें ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे किसी एशियाईको उपनिवेशमें आने, कानूनके अन्तर्गत सात दिन तक रहनेका दावा करने और उस अवधि समाजमें घुलमिलकर अनपहचान हो जाने से रोका जा सके ।

२६. जैसा उदाहरण ऊपर दिया गया है, वैसे उदाहरण अनगिनत दिये जा सकते हैं, किन्तु हमारा विश्वास है कि उपर्युक्त उदाहरण से यह पर्याप्त रूप से प्रकट हो जायेगा कि यदि उपनिवेशको कानूनकी किताबमें पुराने कानूनको रहने दिया गया, तो ब्रिटिश भारतीयों की स्थिति कितनी अनिश्चित हो जायेगी ।

२७. यद्यपि अभी नया कानून महामहिमकी सरकारके विचाराधीन ही है, फिर भी स्थानीय सरकारने उन लोगोंपर मुकदमे चलाने शुरू कर दिये हैं जो उस कानूनके दायरे में आते हैं और जिन्हें उसके अन्तर्गत सुरक्षा प्राप्त है । इस प्रकार एक ब्रिटिश भारतीय, जो सुशिक्षित है और इसलिए जिसकी आसानी से शिनाख्त की जा सकती है, जिसने लॉर्ड मिलनरकी सलाहके अनुसार स्वेच्छया पंजीयन (वॉलंटरी रजिस्ट्रेशन) कराया था और जिसके पास शान्ति-रक्षा अध्यादेश अनुमतिपत्र ( पीस प्रिजर्वेशन ऑर्डिनेंस परमिट ) भी है, नया कानून पास होनेके बाद गिरफ्तार कर लिया गया और उसपर अपंजीकृत (अनरजिस्टर्ड ) एशियाई होनेके अपराध में पुराने कानूनके अन्तर्गत मुकदमा चलाया गया । यद्यपि न्यायाधीशने इसपर आश्चर्य प्रकट किया, किन्तु उसके सम्मुख उसे सात दिनके भीतर उपनिवेशसे चले जानेका नोटिस देनेके सिवा कोई अन्य मार्ग न था । इस प्रकार नये कानूनसे सुरक्षित होनेपर भी पुराने कानूनके अन्तर्गत अनेक एशियाइयोंको, जो उपनिवेशके वैध निवासी हैं, मुकदमा चलाकर उपनिवेश से निकाल बाहर करना सम्भव है ।

२८. एक दूसरे भारतीयपर, जिसे अधिकारी भली भाँति जानते हैं, जो पीट रिटीफका व्यापारी है और जिसके पास अधिवास-प्रमाणपत्र हैं, पुराने कानूनके अन्तर्गत अभी-अभी मुकदमा चलाया गया है और उसे जुर्मानेकी या १४ दिनकी सादी कैदकी सजा दी गई है -- इसलिए नहीं कि वह उपनिवेशमें रहनेका अधिकारी नहीं है, बल्कि इसलिए कि उसने अँगूठेका निशान देने से इनकार कर दिया है । उसके मुकदमेके दरमियान सरकारी पक्षके मुख्य गवाहने स्वीकार किया कि वह उस व्यापारीको ट्रान्सवालके निवासीके रूपमें जानता है और उस वकीलने भी, जो अनुमतिपत्र (परमिट) लेने के समय उसके साथ था, उसकी गवाही दी और शिनाख्त की । श्री इब्राहीम उस्मान (व्यापारीका यही नाम है) ने जुर्माना देनेकी अपेक्षा, जिसे वे गैरकानूनी वसूली मानते हैं, कैद भोगना ज्यादा पसन्द किया और वे अब महामहिमकी फोक्सरस्ट-जेल में अपनी सजा काट रहे हैं । श्री इब्राहीम उस्मान अंग्रेजी पढ़ और लिख सकते हैं और रोमन लिपिमें सुन्दर हस्ताक्षर कर सकते हैं ।

२९. इस परिस्थिति में प्रार्थी संघका विश्वास है कि महामहिमकी सरकार नये कानूनको स्वीकृत करने से पहले पुराने कानूनको रद करवायेगी ।

१. ये मूलजी भाई पटेल थे; देखिए खण्ड ८, पृष्ठ ४१५-१६ ।

२. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ३२८ ।

३. देखिए "जोहानिसबर्गफी चिट्ठो”, पृष्ठ ४ ।

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