पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/५४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५०५
पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

भारतीय निर्वासित किये गये थे। इनमें से दो वापस आ गये। ये फिर गिरफ्तार कर लिये गये और छः छः महीनेके लिए जेल भेज दिये गये।[१]

आपका, आदि,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१४८) से।

३२६. पत्र: लॉर्ड ऍम्टहिलको

[लन्दन]
अक्तूबर २९, १९०९

श्रीमन्,

मुझे निम्नलिखित तार मिला है:

समितिको सलाह है कि यदि लन्दनका काम समाप्त हो गया हो तो प्रतिनिधिगण आफ्रिका लौट आयें।

यह (अपने जर्मन मित्र कैलेनबैकको, जो श्री डोकके साथ वहाँके संघर्षसे सम्बन्धित मामलोंको देखते हैं, गत ८ तारीखको लिखे) मेरे उस पत्रके[२] उत्तरमें है, जो नीचे लिखे अनुसार है:

यह पत्र बृहस्पतिवारको आपको मिलेगा। मेरा कार्यक्रम अब यह है कि हम इस मासकी ३० तारीखको यहाँसे चलेंगे। इस बातकी पूरी आशा है कि उस समय तक हम काम समाप्त कर लेंगे। यदि ऐसा हो जाये तो बादमें भारतके बारेमें सवाल उठेगा। रवानगीकी प्रस्तावित तारीखसे दो दिन पहले यह पत्र आपके हाथोंमें होगा। यदि मैं आपको इसके विपरीत कुछ सूचना न भेजूँ तथा परिस्थिति और तरहसे बदल न जाये तो कृपापूर्वक मुझे तार द्वारा सूचित करें कि समितिका इरादा क्या है? शायद अगले सप्ताह खुद मुझे ही पूरी हिदायतोंके लिए तार भेजना पड़े। परन्तु यदि मैं न भेजूँ तो इस पत्रके पानेके बाद आपका भेज देना जरूरी होगा। भारतीय दौरेका अर्थ है दो महीनेका समय। एक महीना वहाँ जाने-आनेके लिए और एक महीना भारतमें बितानेके लिए। ज्यादा समय भी लग सकता है। एक सत्याग्रहीके नाते मुझे लगता है कि भारतकी यात्रा इस यात्राके ही समान व्यर्थ है। परन्तु गैर-सत्याग्रहियोंके दृष्टिकोणसे सोचते हुए लगता है कि जैसे कुछ महीने लन्दनमें लगा

  1. लॉर्ड ऍम्टहिलने १ नवम्बरको इसकी पहुँच देते हुए लिखा था: "आपने मुझे जो खबर भेजी है उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। मैं देखता हूँ कि अखबारोंने हमारे मामलेका पूरा बहिष्कार कर रखा है, इसलिए आपकी खबर न मिलती तो मैं भारत और दक्षिण आफ्रिकाकी घटनाओं के बारे में अज्ञान में ही रहता। मुझे यह जानकर हैरानी हो रही है कि ट्रान्स्वाल में 'अनाक्रामक प्रतिरोधियों' के विरुद्ध की जानेवाली सरगर्म कार्रवाइयों में कोई कमी नहीं हुई है।"
  2. पत्रकी मूल प्रति उपलब्ध नहीं है।