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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय


लॉर्ड क्रू का उत्तर अभीतक नहीं आया है, इस पत्रको लिखानेके वक्त (गुरुवारकी शाम) तक[१]। आपका पिछला पत्र (मेरा मतलब उस लम्बे पत्रसे है जो, मालूम होता है, आपने बोलकर लिखाया है) बड़ा मनोरंजक था। उसे आपके पूरे परिवारने पढ़ लिया है। सैली, मॉड और आपके परिवारके दूसरे लोगोंके बारेमें मिलनेपर बातें होंगी। मॉड मेरे पाससे चली गई है, फिर भी करीब-करीब हर रोज मिलती है, और इसी तरह सैली भी। कुछ समयसे मेरी हिम्मत बढ़ गई है। मैं दोपहरके वक्त होटलमें बैठनेके कमरेमें ही फलोंका भोजन करता हूँ, जैसा हम जोहानिसबर्गमें करते हैं। सैली भी वहीं आ जाती है। हफ्तेमें दो बार मिली भी हमारे पास आती है। सिमंड्स भी वहीं होता है, और बहुत बार माइरन जे॰ फेल भी। वे अपना हिस्सा लानेकी जिद करते हैं। रिच भी आ जाते हैं। इसके आगेकी कल्पना आप स्वयं कर सकते हैं। पिछले इतवारको मैंने दशहरा-उत्सवकी भोज-सभाकी अध्यक्षता की थी।[२] इसका इन्तजाम करीब-करीब गर्मदली कमेटीने ही किया था। लगभग ७० भारतीय आये थे। मैंने यह प्रस्ताव बिना झिझक स्वीकार कर लिया था, जिससे वहाँ इकट्ठे होनेवाले लोगोंसे सुधार करानेमें हिंसाकी व्यर्थताके सम्बन्धमें बात कर सकूँ। ऐसा ही मैंने किया। मेरी शर्तें ये थीं कि कोई राजनीतिक विवाद न छेड़ा जायेगा। इनका पूरा पालन किया गया। रामायणकी जिस शिक्षाकी ओर मैं ध्यान दिलाना चाहता था उसको मैंने उनके सामने रखा। दशहरेका उत्सव रावणपर रामकी—अर्थात्, असत्यपर सत्यकी विजयका उत्सव है। मैं यहाँ अपना वक्त कैसे गुजारता हूँ, यह बात आप समझ सकें, इस खयालसे ही मैं आपको यह सब बातें लिख रहा हूँ। मैंने यहाँ भरसक ज्यादासे-ज्यादा भारतीयोंसे मिलनेकी कोशिश की है। कार्यक्रम अब भी वही है। अगर लॉर्ड क्रू उत्तरमें बेजा देर न कर दें या कोई ऐसा बहुत जरूरी काम न आ जाये जिससे हमारे रुकनेकी जरूरत हो, तो आशा करता हूँ कि मैं १३ नवम्बरको यहाँसे रवाना हो जाऊँगा। भारत जानेका इरादा तो बिलकुल छोड़ ही दिया है। शनिवारको मैं "इंडियन सोशल यूनियन"[३] की सभामें भाषण दूँगा। मंगलवारको भारतीय विद्यार्थियोंकी एक दूसरी सभा है।[४] तीसरी सभा कैम्ब्रिजमें इंडियन मजलिसकी ओरसे इस इतवारके बादवाले इतवारको होगी।[५]

शनिवारको श्रीमती रिचका ऑपरेशन होगा, जो कुछ खतरनाक है। कांग्रेसको सन्देश भेजनेकी माँग कुछ कठिन है। फिर भी, मैं कुछ लिखनेकी कोशिश करूँगा। आपको इसके साथ शायद मेरे पत्रकी[६] एक प्रतिलिपि मिलेगी।

मैं देखता हूँ कि आप मद्रासमें खासा रुपया इकट्ठा कर रहे हैं। इकट्ठा किया हुआ रुपया कैसे वितरित किया जाता है, यह जानना जरूरी है। यह रुपया किसके हाथमें रहता है? चूँकि संघर्ष लम्बा चलेगा, इसलिए हमें निश्चय ही जेल जानेवाले लोगोंके परिवारोंका भरण-पोषण करना होगा। यह प्रश्न उठ ही चुका है, इसलिए इस धनको या इसके एक हिस्सेको इन परिवारोंके भरण-पोषणके लिए भेजा जा सकता हो तो यह बड़े सन्तोषकी

  1. जान पड़ता है, यह पत्र दूसरे दिन, यानी शुक्रवार, अक्तूबर २९ को भेजा गया।
  2. देखिए "लन्दन", पृष्ठ ४९८-९९।
  3. देखिए "भाषण: न्यू रिफॉर्म क्लब में", पृष्ठ ५१५ और "पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोल्कको", पृष्ठ ५१८।
  4. देखिए "भाषण: भारतीयोंकी सभा", पृष्ठ ५१६।
  5. इस अवसरपर दिये गये भाषणकी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
  6. देखिए "पत्र: जी॰ ए॰ नटेसनको", पृष्ठ ५१०-१२।