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प्रार्थनापत्र : उपनिवेश मन्त्रीको

३५. प्रार्थी संघ सादर यह माँग करता है कि शिक्षित एशियाइयोंको स्वतन्त्र रूपसे प्रवेश करनेका वैसा ही अधिकार होना चाहिए जैसा उन्हें दूसरे उपनिवेशोंमें प्राप्त है । इसमें उनपर केवल एक ऐसी सर्वसामान्य शैक्षणिक कसौटीकी पाबन्दी हो जो सबपर लागू होती हो । ऐसे एशियाइयोंसे शिनाख्त की ऐसी विधियोंका पालन करने और जिन प्रमाण-पत्रों (सर्टिफिकेट्स) की तनिक भी आवश्यकता नहीं है, उनको सदा साथ रखने की अपेक्षा करना बहुत अनुचित, अपमानजनक और पतनकारी है ।

३६. प्रार्थी संघ महामहिमकी सरकारका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करता है कि विदेशी यदि यूरोपोय हों और दक्षिण आफ्रिकाके वतनी यदि शैक्षणिक कसौटीमें उत्तीर्ण हो जायें तो ट्रान्सवालमें आ सकते हैं । इसलिए शिक्षित ब्रिटिश भारतीय उपर्युक्त दोनों वर्गोंसे नीचे रखे गये हैं ।

३७. यह ठीक कि मलायी लोगोंपर, जो दक्षिण आफ्रिकाके निवासी हैं, ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेपर कोई प्रतिबन्ध न हो, किन्तु प्रार्थी संघ यह नहीं समझ पाता कि दक्षिण आफ्रिकामें उत्पन्न हुए भारतीय भी उसी वर्ग में क्यों न रखे जायें । ऐसे बहुत-से भारतीय युवक हैं, जिनके लिए दक्षिण आफ्रिका ही उनका देश है और भारत परदेश ।

३८. यह कहा गया है कि शिक्षित भारतीयोंका उपनिवेशमें प्रवेश खुला रखनेसे उपनिवेशमें "अर्द्ध-शिक्षित भारतीय लड़के" भर जायेंगे और वे उपनिवेशवासी आम यूरोपीयोंसे स्पर्धा करेंगे । प्रार्थी संघने यह तर्क भी उपस्थित नहीं किया है । शैक्षणिक कसौटीकी कठोरता-पर आपत्ति न की जायेगी । जिस बातपर नम्रतापूर्वक आपत्ति की जाती है वह है कानूनमें निहित वर्ग और रंग-सम्बन्धी भेदभाव, जो शिक्षित भारतीयोंके साथ भी किया जाता है । शैक्षणिक कसौटीके अन्तर्गत बहुत कम भारतीय प्रतिवर्ष नेटालमें प्रवेश कर पाते हैं ।

३९. प्रार्थी संघ तो यह चाहता है कि अत्यन्त सुसंस्कृत और शिक्षित भारतीय, ऊँचे धन्धोंवाले लोग और विश्वविद्यालयोंसे उपाधियाँ प्राप्त लोग अधिकृत रूपसे उपनिवेशमें प्रवेश कर सकें । ऐसे लोग स्वभावतः अधिवासी समाजकी आवश्यकताओंके लिए जरूरी हैं ।

४०. यह भी कहा गया है कि नये कानूनके खण्ड १६ में पुराने कानूनकी तरह ही शिक्षित भारतीयोंको राहत देने की व्यवस्था उपलब्ध है । किन्तु ऐसी बात नहीं है । उस खण्डमें केवल स्थायी अनुमतिपत्र (परमिट) की गुंजाइश है और उसके आधारपर उसका स्वामी कोई स्वतन्त्र धन्धा नहीं कर सकता । प्रार्थी संघके विचारमें उस खण्डका मंशा एशियाइयोंको, चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित, उपनिवेशमें अस्थायी निवासकी सुविधा देना है और उसमें अस्थायी अनुमतिपत्रों (परमिटों) के अन्तर्गत व्यापारियोंको अपने लिए आवश्यक मुनीम और दूसरे नौकर लानेकी सुविधा देनेकी भी व्यवस्था है ।

४१. प्रार्थी संघ जो राहत प्राप्त करना चाहता है, वह दूसरी तरहकी है । जो शिक्षित भारतीय परीक्षामें, भले ही वह कितनी ही कड़ी हो, उत्तीर्ण हो सकते हैं उन्हें सामान्य प्रवासी कानूनके अन्तर्गत आना चाहिए और उनपर कोई रोक आदि न लगाई जानी चाहिए ।

४२. जो शिक्षित भारतीय उपनिवेशमें हैं यदि उन्होंने पंजीयन कराया है तो केवल इसलिए कि वे उदाहरण प्रस्तुत कर सकें, सरकारको सहायता दे सकें और जिन थोड़े-से लोगोंको उपनिवेशमें प्रवेशको अनुमति दो जाये उनकी व्यक्तिगत स्वतन्त्रताको अपमानजनक और अनावश्यक प्रतिबन्धोंसे मुक्त कर सकें ।

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