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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रखना चाहिए कि इसका उपाय केवल हमारे हाथमें है, ब्रिटिश सरकार या ट्रान्सवाल सरकारके हाथमें नहीं। उनके सामने सब तथ्य विधिवत् पेश करना और उनको समझाना हमारा काम है। लेकिन हमें यह न भूलना चाहिए कि अपने बलके सिवा दूसरा बल कभी काम न देगा।

भावना

एक ओर मुझे लॉर्ड क्रू की चिट्ठी मिली और दूसरी ओर अखबारोंमें मेरे लड़के हरिलालके जेल जानेका तार समाचारपत्रोंमें छपा। इससे मुझे निःसन्देह प्रसन्नता हुई। मुझे यह जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था कि जब बहुत-से भारतीय गिरफ्तार हो गये हों तब मेरा बेटा और मैं जेलके बाहर रहें। तभी यह तार आ गया। कुमारी पोलक इस सम्बन्ध में मेरी भावनाको समझती हैं, इसलिए उन्होंने मुझे यह खबर देते हुए बधाई दी। यद्यपि मैं जानता हूँ कि इससे उस बालकको कष्ट होगा; फिर भी मैं उस खबरका स्वागत करता हूँ। इसमें उसका हित है, मेरा भी हित है और जातिकी सेवा है। यह ईश्वरकी आज्ञा भी है। नागप्पन! तुम भी तो बालक ही थे। तुमने अपने देशके लिए अपनी बलि दे दी। मैंने इसमें तुम्हारे परिवारका कल्याण माना। मैं यह मानता हूँ कि तुम मरकर अमर हो गये हो। अब मैं अपने बेटेके जेल जानेपर क्यों घबरा जाऊँ? उसके साथी फिर जेल चले गये हैं। इसमें उनका कोई स्वार्थ नहीं है। फिर भी वे जेलका दुःख भोग रहे हैं। मैं यह नहीं मानता कि इस दुःखके बदले सुख न मिलेगा और हमारी प्रतिज्ञाके अनुसार कानून रद नहीं होगा। मुझे आशा है कि कोई भी भारतीय ऐसा माननेकी कायरता नहीं दिखायेगा।

दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंसे

मैं समस्त दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंसे कहता हूँ कि यह लड़ाई केवल ट्रान्सवालकी नहीं है। यह आप सबकी है। इसलिए आप सब लड़नेवालोंको पूरी हिम्मत बँधायें। श्री अब्दुल कादिर और श्री आमद भायात यहाँका रंगढंग देखकर गये हैं; मैं उनसे कहता हूँ कि लोगोंको यथाशक्ति उत्साहित करना उनका कर्तव्य है। इस लड़ाई में सभी मदद कर सकते हैं; कोई अपने शब्दोंसे, कोई अपने धनसे और कोई जेल जाकर। मुझे आशा है कि सभी ऐसा करेंगे।

हमारे रवाना होनेमें एक ही हफ्ता बाकी है।[१] और इस बीच बहुत सारे काम निबटाने हैं। छपा विवरण तैयार है, उसे अभी सब जगह भेजना है। उसके साथ पत्र भी लिखा है। वह इस प्रकार है:[२]

आशा है, यह पत्र अखबारोंमें प्रकाशित किया जायेगा।

इंडियन यूनियन सोसाइटी

इंडियन यूनियन सोसाइटीकी बैठक शनिवारको हुई। इसमें भारतीयों और यूरोपीयोंके सामने लड़ाईकी पूरी स्थिति रखी गई। इसका संक्षिप्त समाचार स्थानीय अखबारोंमें छपा है।

 
  1. शिष्टमण्डल इंग्लैंडसे १३ नवम्बरको रवाना हुआ था।
  2. इसके पाठके लिए देखिए "पत्र अखबारोंको", पृष्ठ ५२०-२२।