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३४२. भेंट: रायटरके प्रतिनिधिको[१]

[लन्दन
नवम्बर ९, १९०९]

श्री गांधीने रायटर-एजेंसीके प्रतिनिधिके भेंट करनेपर श्री स्मट्सके साथ बातचीत असफल होनेपर निराशा प्रकट की। लॉर्ड ने ट्रान्सवाल सरकारसे एशियाई प्रश्नपर समझौता करानेके जो प्रयत्न किये, श्री गांधीने उनकी प्रशंसा की; लेकिन उन्होंने कहा कि जो रियायतें दी गई हैं, वे कानूनी समानताके महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तको स्पर्श भी नहीं करतीं।

श्री गांधीने कहा, आशंका यह है कि श्री हाजी हबीब और में ट्रान्सवालकी सरहदपर गिरफ्तार कर लिये जायेंगे। लेकिन जिस आन्दोलनसे मेरा सम्बन्ध है वह आन्दोलन भारतमें, ब्रिटेनमें और दक्षिण आफ्रिकामें जोर-शोरसे जारी रखा जायेगा। इन देशोंमें भारतीय और अंग्रेज स्वयंसेवकोंने सहायता और धन प्राप्त करनेके लिए घर-घर घूमनेका कार्यक्रम बनाया है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १३-११-१९०९

३४३. पत्र: एल्मर मॉडको

लन्दन,
नवम्बर १०, १९०९

प्रिय श्री मॉड,

मैं 'मैंचेस्टर गार्जियन' को "एक हिन्दूके नाम टॉल्स्टॉयका पत्र" प्रकाशित करनेके लिए राजी नहीं कर सका हूँ। मैं स्वयं ब्रिटिश म्यूजियम नहीं जा सका हूँ, परन्तु मैंने एक मित्रसे कहा था कि वे बैलोजकी पुस्तकें देखें।[२] उनकी पुस्तकें वहाँ हैं।

क्या अब आप कृपापूर्वक मुझे बता सकते हैं कि आप 'अनाक्रामक प्रतिरोध' विषयपर लिखाये गये निबन्धके सम्बन्धमें डॉ॰ क्लिफर्डके साथ सह-निर्णायकका कार्य कर सकेंगे?

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त हस्तलिखित मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (सी॰ डब्ल्यू॰ ४४३९) से।

  1. यह "लन्दनकी खबर" शीर्षकसे प्रकाशित किया गया था ।
  2. ब्रिटिश म्यूजियमकी पुस्तक-सूचीमें हेनरी वैलोज़ (१७०७-१७८२) की केवल एक पुस्तकका उल्लेख है। उसका नाम है ए ट्रीटाइज़ ऑफ़ इक्विटी। इसका प्रथम प्रकाशन १७३७में हुआ था और ब्रिटिश म्यूजियम में १७५६ का संस्करण उपलब्ध है।