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भाषण: बिदाई-सभामें

अर्थ लें तो, धर्मके भी विरुद्ध समझते हैं, उस कानूनको माननेसे इनकार करके स्वयं कष्ट झेल रहे हैं। सभी वर्गोंके सैकड़ों भारतीय, जो वैसे अशिक्षित हैं, अपने आदर्शकी रक्षाके लिए जेल गये हैं। क्या भारत उनकी रक्षा न करेगा? क्या वह इस मामलेको अधिकतम महत्त्व न देगा? क्या कांग्रेस इसे अपने कार्यक्रममें सबसे ऊँचा स्थान देगी? क्या सुधारके बाद गठित विधान परिषद इस समस्याको हल करनेका दायित्व लेकर अपने अधिकार और सम्मानकी रक्षा करेगी? यह सब हो या न हो, अन्तमें मैं भारतके लोगोंको यह आश्वासन दिलानेकी धृष्टता करता हूँ कि जबतक एक भी सत्याग्रही जीवित है, ट्रान्सवालमें यह संघर्ष जारी रहेगा। ट्रान्सवालके भारतीय जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह हर सत्याग्रहीके मर जानेपर भी खत्म हो सकती है, इसमें मुझे बहुत सन्देह है।

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
गुजराती, ५-१२-१९०९

३५५. भाषण: बिदाई-सभामें

[लन्दन
नवम्बर १२, १९०९]

श्री गांधीने श्री मायरको सभाका आयोजन करने और उन्हें तथा उनके साथीको ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंकी कठिनाइयोंका विवरण पेश करनेका मौका देनेके लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, हम लोग ट्रान्सवालमें जो कुछ कर रहे हैं उसके सम्बन्धमें श्री मायरकी दी हुई चेतावनी बहुत उचित है। हम इंग्लैंडको जनताके पास इसलिए नहीं आये हैं कि इस

१. गांधीजी और हाजी हबीबके दक्षिण आफ्रिका रवाना होनेके पहले उन्हें विदाई देनेके लिए वेस्ट मिस्टर पैलेस होटलमें एक सभा हुई थी। अन्यान्य व्यक्तियोंके सिवा इस सभामें डॉ॰ रदरफोर्ड, संसद-सदस्य, सर रेमंड वेस्ट, सर फ्रेडरिक लेली, सर मंचरजी भावनगरी, जे॰ एम॰ परीख, माननीय श्री खरे, मोतीलाल नेहरू और एल॰ डब्ल्यू॰ रिच भी थे। सभाके संयोजक रेवरेंड एफ॰ बी॰ मायरने गांधीजी और हाजी हवीवका परिचय कराया। गांधीजी के अलावा श्री रेमंड वेस्ट और सर फ्रेडरिक लेलीने भी सभामें भाषण दिये थे। यह अंश इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित सभाकी रिपोर्टसे लिया गया है।

२. रेक्रेंड मायरने कहा था: "यहाँ जो लोग आये हैं, उनकी उपस्थितिका यह अर्थ नहीं है कि अपनी लम्बी और कठिन लड़ाई में श्री गांधीने जो कुछ भी कहा है या किया है, हम उसका पूरा-पूरा समर्थन करते हैं। आदमी गलतियों न करे तो वह कुछ कर ही नहीं सकता। ऐसा कोई आदमी नहीं है जिसे अपनी कही हुई किसी बातपर या किये हुए किसी कार्यपर बादमें पछतावा न हुआ हो और ऐसा न लगा हो कि उस बातको ज्यादा अच्छी तरह कहा जा सकता था या उस कार्यको ज्यादा अच्छी तरह किया जा सकता था। लेकिन उनकी उपस्थिति यह बताती है कि वे विशुद्धता में बेजोड़ और अत्यन्त निःस्वार्थ भावसे चलाये जानेवाले उस संघर्षका अनुमोदन करते हैं। मेरा यह भी खयाल है कि हम यहाँ उन बहुसंख्यक लोगोंका, जो इस संघर्षको बड़ी दिलचस्पीसे देख रहे हैं और जो यह अनुभव करते हैं कि उन्हें इस संघर्ष में अपने प्रभावका योगदान अवश्य करना चाहिए, प्रतिनिधित्व करते हैं।"

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