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भाषण: विदाईकी सभामें

("वाह, वाह" और हर्षध्वनि)। हम अनुभव करते हैं कि यदि इतना भी नहीं करते तो हम साम्राज्यके सदस्य होने योग्य न रह जाते—हम साम्राज्य में साझीदार होनके योग्य न रह जाते, और अगर साझीदारी नहीं हो तो साम्राज्यका अस्तित्व ही नहीं रह जाता इसीलिए मैंने यह कहनेमें तनिक भी संकोच नहीं किया है कि यह संघर्ष वर्तमान युगके महानतम संघर्षोंमें से एक है; और ऐसा इसलिए कि एक महान सिद्धान्त दाँवपर लगा हुआ है, हम एक पवित्र आदर्शके लिए लड़ रहे हैं, और इसलिए भी कि हमने उस आदर्शकी प्राप्तिके प्रयत्नोंमें शुद्ध तरीके अपनाये हैं। और अब वह प्रस्ताव क्या है जो [हमसे] किया गया है? वह यह है कि यह कानून तो रद हो जाना चाहिए, लेकिन प्रस्तावके जरिए जो शर्त थोपनेकी कोशिश है वह यह है कि भविष्यमें ब्रिटिश भारतीय कानूनको दृष्टिमें यूरोपीयोंके साथ बराबरीका दर्जा लेकर ट्रान्सवालमें प्रवेश न करें। ट्रान्सवाल सरकार कानूनमें इस परिवर्तनके कारण होनेवाले परिणामका लाभ ब्रिटिश भारतीयोंको देनेके लिए राजी थी, अर्थात् चन्द भारतीय ट्रान्सवालमें प्रवेश कर सकेंगे। ब्रिटिश भारतीय इतनेसे सन्तुष्ट नहीं हैं। उदाहरणके लिए आप मान लें कि एक स्वामी अपने दाससे कहता है: "तुम मेरे साथ मेजपर बैठ सकते हो, मेरे साथ रह सकते हो, तुम ये तमाम सुविधाएँ भोग सकते हो, किन्तु इस शर्तपर कि दास और स्वामीका यह रिश्ता हमारे बीच सदैव बना रहेगा।" क्या आप सोच सकते हैं कि दास इससे सन्तुष्ट हो जायेगा? जबतक दासताका कलंक लगा हुआ है तबतक चाहे उसे मेजपर सर्वोच्च पद ही मिले, क्या वह दास सन्तुष्ट हो सकेगा? क्या यह साफ नहीं है कि समर्पणकी भावना तबतक असम्भव है जबतक वह भेद कायम है, जबतक दासताका कलंक लगा हुआ है? उपनिवेश सरकार अब जो-कुछ देनेको कहती है उसे पर्याप्त मानकर स्वीकार नहीं कर सकते; और इसलिए हम अपने संघर्ष में ब्रिटिश जनतासे उसकी सहानुभूति और समर्थन माँगनेके लिए यहाँ आये हैं। मैं समझता हूँ कि साम्राज्यीय सरकारके लिए शस्त्र-बलसे ट्रान्सवाल सरकारको कुछ करने के लिए विवश करना असम्भव है। हम स्वयं भी किसी बलका प्रयोग नहीं करते। हम किसीसे नहीं कहते कि हमारी ओरसे बलका प्रयोग करे; लेकिन हम यह जरूर सोचते हैं कि ब्रिटिश जनताको मालूम हो कि उस संघर्षका मतलब क्या है, वह जाने कि [ट्रान्सवालके] अधिवासी [भारतीय] समाजमें से ५० प्रतिशत पहले ही जेल हो आये हैं; उसे मालूम हो कि जेलमें निमोनिया हो जाने के कारण एक नौजवानको मृत्यु हो चुकी है; वह जाने कि पिता और पुत्र साथ-साथ जेल गये हैं; वह जान सके कि माताओंने टोकरियाँ ले ली हैं और सड़कोंपर फल बेचती हैं, ताकि जबतक उनके पति जेलमें हैं, वे अपनी और अपने बच्चोंकी परवरिश कर सकें; उसे मालूम हो कि बहुत-से परिवार दरिद्र हो गये हैं और चन्देकी रकमसे उनका गुजारा होता है। यदि आजकी सभाम उपस्थित आप सभीको लगे कि जिन आदर्शोंने सत्याग्रहियोंको खुशी-खुशी ये कष्ट झेलने के लिए प्रेरित किया है, वे आपकी दृष्टिमें सही हैं, तो आप सत्याग्रहियोंके उस छोटे-से समुदायको अपने प्रोत्साहन, सहानुभूति और उमंग पैदा करनेवाले कुछ शब्द भेजें। आप साम्राज्य-सरकारको कमसे-कम यह दिखा दें कि साम्राज्यीय अन्तरात्माके विरुद्ध इस पापमें आप भागीदार बननेको