परिशिष्ट
परिशिष्ट १
एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम (१९०८)
सम्पूर्ण पाठ
हम नीचे ट्रान्सवालकी संसद द्वारा हाल ही में पारित उस अधिनियमका पूरा पाठ दे रहे हैं "जिसका उद्देश्य उन एशियाइयों के, जो सन् १९०७ के अधिनियम संख्या २ के उपबन्धोंका पालन नहीं कर पाये, स्वेच्छ्या पंजीयनको वैध करना है और एशियाइयोंके पंजीयनकी अतिरिक्त व्यवस्था करना है।"
ट्रान्सवालकी विधान-परिषद और विधान-सभाकी सलाह और सम्मतिसे हमारे परमश्रेष्ठ महामहिम महाराज निम्नलिखितको कानूनके रूपमें मान्य करें:
१. इस अधिनियममें, बशर्ते कि वह संदर्भसे असंगत न हो,
"बालिग" का अर्थ होगा सोलह साल या उससे ज्यादाकी उम्रवाला;
"पंजीयन-प्रार्थनापत्र " का अर्थ होगा एशियाइयोंके रजिस्टर में दाखिल की जानेवाली ऐसी अर्जी जो [तत्सम्बन्धी]
"एशियाई" का अर्थ होगा एशिया महाद्वीप में रहनेवाली प्रजातियोंका कोई भी पुरुष-व्यक्ति; उसमें कुली, अरब और मलायी शामिल होंगे किन्तु निम्नलिखित शामिल नहीं होंगे—
(क) ऐसा मलायी जिसका जन्म दक्षिण आफ्रिकाके किसी ब्रिटिश उपनिवेशमें या ब्रिटिश अधिकृत प्रदेश में हुआ हो और जो वहाँ निवास करता हो; या
(ख) ऐसा कोई व्यक्ति जो इस उपनिवेशमें १९०४ के "श्रम-आयात अध्यादेश" (लेबर इम्पोर्टेशन ऑर्डिनेन्स) के अधीन लाया गया हो; या
(ग) किसी विदेशी दूतावास में काम करनेवाला अधिकारी; "पंजीयन प्रमाणपत्र" का अर्थ होगा सन् १९०७ के अधिनियम संख्या २ के अन्तर्गत दिया गया प्रमाणपत्र,
अथवा इस अधिनियम के अन्तर्गत इसीकी अनुसूचीमें बताये गये नमूनेके अनुसार या विनियम द्वारा निर्धारित विधिके अनुसार दिया गया प्रमाणपत्र;
"इस अधिनियमका आरम्भ"—इस शब्द-समुच्चयका अर्थ होगा वह तारीख जिससे कि यह अधिनियम अमल में आया;
"गवर्नर" का अर्थ होगा वह अधिकारी जो किसी समय इस उपनिवेशकी सरकारका, कार्यकारी परिषदकी
सलाह और सम्मतिके अनुसार, संचालन कर रहा हो; "संरक्षक" का अर्थ होगा किसी नाबालिग एशियाईका पिता या माता या कोई भी दूसरा आदमी जिसके संरक्षण में वह नाबालिग व्यक्ति उस समय रह रहा हो और ऐसे किसी आदमीके अभावमें उस नाबालिगका मालिक।
"वैध धारक" (लॉफुल होल्डर) का अर्थ, पंजीयन प्रमाणपत्रके सिलसिलेमें होगा (प्रमाणपत्रके उल्लिखित नावालिगसे भिन्न) वह व्यक्ति जिसका पंजीयन उस प्रमाणपत्रसे प्रमाणित होता है;