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भेट : 'स्टार के प्रतिनिधिको'

अनावश्यक और अब्रिटिश । आशा है, कराने के लिए अधिकतम प्रयत्न करेंगे । भारतीयों को सहज न्याय से निराश न होने दिया जाये ।

[ मो० क० गांधी]

[अंग्रेजी से]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : २९१/१३२

९. भेंट : 'स्टार' के प्रतिनिधिको

[ जोहानिसबर्ग ]

सितम्बर ९, १९०८

फोक्सरस्टके न्यायाधीशने कल उन भारतीयोंको, जो निर्वासित कर दिये गये थे और उपनिवेशमें फिर प्रविष्ट हुए थे, तीन-तीन महीनेकी सख्त कैदकी सजा दी है । भारतीयोंकी विचार-पद्धतिके अनुसार इस सजासे उनके पक्षको बहुत बल मिला है, और यह स्पष्ट है कि वे आशा करते हैं, संघर्ष के दौरान इस प्रकारकी घटनाएँ साम्राज्य सरकारको उनके पक्षमें हस्तक्षेप करनेपर विवश कर देंगी । आज जब 'स्टार' का एक प्रतिनिधि श्री गांधीसे उनके कार्यालयमें मिला तब वहाँ आशाकी एक प्रबल भावना व्याप्त थी । अनाक्रामक प्रतिरोध आन्दोलनके नेता [श्री गांधी ] ने कहा :

हालाँकि यह सही है कि हम भारतीयोंने जो माँगा था वह हमें मिल गया है, किन्तु इसमें सरकारके लिए श्रेयकी कोई बात है, ऐसा नहीं झलकता है; क्योंकि वह अदालतोंके लिए लगभग लाजमी-सा कर देती है कि वे उन व्यक्तियोंको, जो अन्ततः सरकारके राजनीतिक विरोधी हैं, ऐसी भारी सजाएँ दें मैं इसे सरकारको दी गई शक्तिका एक प्रतिनिधित्वहीन वर्गके प्रति द्वेषपूर्ण दुरुपयोग समझता हूँ । मेरी रायमें इन सजाओंका नतीजा होगा निष्कासनके हास्यास्पद नाटकका अन्त । किन्तु यदि यह नाटक जारी रखा गया, और यदि मैं अपने देशवासियोंकी मनोदशाको सही-सही जानता हूँ, तो वे निश्चित रूपसे बार-बार प्रवेश करना जारी रखेंगे और ब्रिटिश नागरिकको हैसियत से अपने अधिकार माँगते रहेंगे । जब मैं कानूनकी निगाहमें समानताके व्यवहारकी बात करता हूँ तब मेरे इस विचारकी खिल्ली उड़ाई जाती है; किन्तु भले लोग मेरे साथ हैं, क्योंकि स्वयं कर्नल सीलीने भी यही दलील पेश की है। मेरी समझमें यही एक चीज है जो सारे साम्राज्यको एक सूत्र बांधती है । कानूनी असमानताका विचार दाखिल करते ही साम्राज्यकी नींव खोखली हो जाती है । इस विचारसे मेरा अभिप्राय

१. उपनिवेश-उपमन्त्री कर्नल जॉन एडवर्ड बर्नार्ड सीलीने ३१ जुलाई, १९०८ को ब्रिटिश लोकसभामें कहा था कि : (क) यदि लोगोंको प्रवेश करने दिया जाये तो उन्हें नागरिक अधिकार अवश्य दिये जाने चाहिए; (ख) यदि किसी मनुष्यको ब्रिटिश झण्डेके नीचे प्रवेश करने दिया जाये तो उसे सम्भाव्य नागरिक होना चाहिए तथा उसको देर-सबेर अन्य सब लोगोंके बराबर ही अधिकार दिये जाने चाहिए; (ग) जो लोग इस समय हमारे साथ हैं, उनसे हमें अच्छा, उदारतापूर्ण और न्यायोचित व्यवहार करना चाहिए । देखिए इंडिया, ७-८-१९०८ ।

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