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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

(२) पी० के० नायडूका हलफनामा

मैं जोहानिसबर्गवासी पी॰ के॰ नायडू संजीदगी और सचाईसे इसके द्वारा निम्न घोषणा करता हूँ:

जिस दिन श्री गांधीपर समझौतेके सम्बन्धमें हमला किया गया था उस दिन उस घटनाके कुछ घंटे बाद मैं रजिस्ट्रारके दफ्तर में गया था। एशियाई कानून संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत स्वेच्छया पंजीयन प्रार्थना पत्रों की रसीदके जो फार्म जारी किये गये थे, उनके विरुद्ध ही मैं दफ्तरमें आपत्ति करने गया था। मैंने रजिस्ट्रारसे कहा था कि भारतीय अधिनियमको न मानेंगे। चूँकि हमें यह विश्वास दिलाया गया है कि स्वेच्छया पंजीयन करा लेनेपर यह कानून रद कर दिया जायेगा, इसलिए ही हम स्वेच्छया पंजीयन करा रहे हैं। उस वक्त श्री नादिरशा कामा मौजूद थे। श्री चैमनेने हमें जोरोंसे विश्वास दिलाया कि स्वेच्छया पंजीयन पूरा होनेपर कानून निश्चय ही रद्द कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि एशियाई कानून संशोधन विधेयक के अन्तर्गत फार्म गलती से जारी किये गये हैं। हमपर अधिक प्रभाव डालनेके लिए उन्होंने दूसरे फार्म टाइप कराये। उनमें एशियाई कानून संशोधन विधेयकका कोई उल्लेख न था।

पी॰ के॰ नायडू
मेरे सामने,
जे० रिल
जस्टिस ऑफ द पीस

जोहानिसबर्ग में
आज ५ सितम्बर १९०८ को घोषित

(३) एन॰ कामाका हलफनामा

मैं जोहानिसबर्गवासी नादिरशा कामा संजीदगी और सचाईसे इसके द्वारा निम्न घोषणा करता हूँ:

मैंने श्री पी॰ के॰ नायडूका आजकी तारीखका हलफनामा पढ़ लिया है। मैं उसमें कही गई बातोंकी पुष्टि करता हूँ। लोगोंको समझौता मंजूर करनेके लिए राजी करनेमें मेरा बड़ा हाथ था और मैं श्री चैमनेसे श्री नायडूकी मौजूदगी में मिलनेके अलावा भी कई बार मिल चुका था। श्री चैमनेने बहुत बार यह आश्वासन दिया था कि कानून रद कर दिया जायेगा। इस तरह वे मेरे हाथ मजबूत करना और लोगोंको शान्त करना चाहते थे।

नादिर कामा
मेरे सामने,
जे० रिल
जस्टिस ऑ द पीस

जोहानिसवर्ग में
आज ५ सितम्बर १९०८ को घोषित

(४) ए० एम० एन्ड्जका हलफनामा

मैं जोहानिसबर्गवासी ए॰ एम॰ एन्ड्रज संजीदगी और सचाईसे इसके द्वारा निम्न घोषणा करता हूँ:

वॉन वेंडिस स्क्वेयर में स्वेच्छया पँजीयनका दफ्तर खुलनेके बाद दूसरे या तीसरे दिन में अपना प्रार्थनापत्र देने के लिए दफ्तर में घुसा। श्री चैमनेने मुझे अपने अंगूठोंके निशान देनेके लिए कहा। मैंने इससे इनकार कर दिया। मैंने कहा कि शिक्षा सम्बन्धी योग्यता के आधारपर मुझे इससे मुक्त किया जाना चाहिए। एक कारण यह भी था कि मुझे कुछ शक था, क्योंकि उससे पहले दिन मैंने स्वेच्छ्या पंजीयनकी अजींकी रसीदें देखी थीं जो एशियाई कानूनके अन्तर्गत बनाये गये फार्मों पर दी गई थीं। तब श्री चैमनेने मुझे समझाया। उन्होंने कहा कि मुझे अँगूठेके निशान दे देने चाहिए, जिससे सरकारको शिनाख्तका कोई साधन मिल सके। उन्होंने मुझे बताया कि नेताओंने अँगुलियोंके निशान दे दिये हैं, और अँगुलियोंके निशान देना भारतीयोंकी