पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/६०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५६६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बाड़के समीप कृषि-प्रदर्शनी स्थलपर काम करने ले जाया गया, जो उस जमीनको आम सड़कसे अलग करता है। वहाँ हमारा काम पत्थरोंको खोदना व हटाना था। हम उस जमोनको आम सड़कसे अलग करनेवाली बाड़के बिलकुल नजदीक थे। हम सड़कसे भी बिल्कुल करीब थे, और वहाँसे गुजरनेवाला कोई भी व्यक्ति हमें आसानीसे देख सकता था और साफ सुन सकता था कि वहाँ क्या बातें हो रही हैं। बहुत-से यूरोपीय तथा वतनी उस तरफसे गुजरे भी। वह जमीन फोक्सरस्टकी म्युनिसिपैलिटीकी हृदमें है और उस सड़कपर काफी लोग चलते हैं। भारतीय कैदियोंके पहरेपर नियुक्त यूरोपीय संतरी श्री गांधीसे बार-बार और मेहनतसे काम करनेको कहता रहा, हालाँकि श्री गांधी अपनी शक्तिभर ज्यादासे-ज्यादा मेहनत कर रहे थे। उधरसे गुजरनेवालों को यह सब साफ-साफ सुनाई दिया होगा। वह सन्तरी जिन शब्दोंका प्रयोग कर रहा था वे ठीक-ठीक ये थे: "मेहनत करो, गांधी; मेहनत करो।"[१] श्री गांधीने जवाब दिया कि मैं अपनी शक्तिभर अधिक से अधिक काम कर रहा हूँ और ज्यादा भी करनेकी कोशिश कर रहा हूँ। जब श्री गांधी अपनी हथेलियोंपर, जो छालोंके छिल जानेसे गीली हो रही थीं, मिट्टी मलनेके लिए जमीनसे मिट्टी उठानेको झुके थे तब यह देखकर भी सन्तरी उसी तरह पीछे पड़ा रहा। जब करीब ९ घंटेके लगातार श्रमके बाद, जिसमें १२ और १ बजेके बीच सिर्फ एक घंटेका विराम था, श्री गांधी जेलको लौटे तो वे दर्द और थकानसे इतने जकड़ गये थे कि कठिनाईसे चल पाते थे। उसी दिन १२ बजे एक भारतीय कैदी अधिक मेहनत और गर्मीके मारे तथा पानीके अभावमें, क्योंकि वार्डरने उसे पानी पीने नहीं जाने दिया, बेहोश हो गया था और उसे एक कूड़ा-गाड़ीमें जेल ले जाया गया था। श्री गांधी उस गाड़ीमें उसके साथ गये। उस दिन तीसरे पहर हम एक वतनी सन्तरीकी निगरानीमें थे। वह भी श्री गांधीसे काम करते रहनेको बराबर कहता रहा, यद्यपि वे अपनी शक्ति-भर कर रहे थे । जो शब्द इस्तेमाल किये गये थे वे ये थे: "मेहनत करो, गांधी; मेहनत करो।" उधरसे गुजरनेवाले आसानीसे यह सुन व देख सकते थे। अगले दिन हमें सड़क के किनारेकी एक जमीन पर ले जाया गया। यह जमीन सुलेमान अहमद काजीके स्टोरके करीब-करीब सामने थी। श्री काजी स्टोरके सामने खड़े थे। वे, जो-कुछ हो रहा था, सब आसानीसे देख व सुन सकते थे। यह तो खैर, सड़क के उस पारसे होता था; परन्तु राहगीर हमारे बिल्कुल करीब आ सकते थे। हम पेड़ोंके लिए गढ़े खोद रहे थे और पहले दिनकी ही तरह उस दिन भी हमने नौ घंटे काम किया।

(हस्ताक्षर) आर॰ एम॰ सोढा
मेरे सामने,
(हस्ताक्षर) ए॰ एल॰ सी॰ बारट्रॉप
जस्टिस ऑफ द पीस

जोहानिसबग में


आज ३० नवम्बर १९०८को घोषित।


[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकड्रेस: २९१/१३२।

(७) ट्रान्सवालके प्रधानमन्त्रीकी टिप्पणी

[प्रिटोरिया
जनवरी ३०, १९०९]

मन्त्रियोंको परमश्रेष्ठ गवर्नरकी पिछले दिसम्बर ३१ की टिप्पणी, संख्या १५/१/०८, और परमश्रेष्ठ डिप्टी गवर्नरकी १४ तारीखकी टिप्पणी, संख्या १५/१/०९, की प्राप्ति स्वीकार करनेका सौभाग्य प्राप्त है। इनके साथ क्रमशः माननीय उपनिवेश-मन्त्रीके खरीते, संख्या ४२४ और ४५१, भी है। ये सब श्री गांधी के साथ, जब वे जेलकी सजा भुगत रहे थे, किये गये बरतावके विषय में हैं।

  1. "कम ऑन, गांधी; कम ऑन गांधी।"