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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


श्री गांधी अपनी इच्छासे नेटालसे यहाँ गिरफ्तार होनेके लिए आये थे। उन्होंने अधिकारियोंके साथ अपने व्यवहार में सदैव ज्यादासे-ज्यादा उदारताका परिचय दिया है। तब भला उनका ऐसा लज्जास्पद अपमान क्यों किया गया?

निःसन्देह कुछ लोग कहेंगे, "यह तो महज जेलके कायदेकी बात है।" मुझे यह बताने की अनुमति दें कि श्री गांधी जिस वर्गके कैदी हैं उस वर्गके कैदीके लिए कोई कायदा नहीं है, क्योंकि वह वर्ग अपराधियोंका नहीं है, बल्कि जैसा कि श्री स्मटसने कहा, "अन्तरात्मागत आपत्ति करनेवालों" का है। फोक्सरस्टसे प्रिटोरिया तक हथकड़ियोंकी जरूरत नहीं समझी गई थी, और न उनका उपयोग जोहानिसबर्ग में ही किया गया। निश्चय ही, प्रिटोरिया में इस अनावश्यक अपमानको टालना चाहिए था।

बताया गया है कि परमश्रेष्ठ उच्चायुक्त महोदयने गत सप्ताह केप टाउनमें वर्तनियोंके सवाल्पर अपने बहुत ही अच्छे भाषण में "तंग करनेकी नीति" और उसके "समग्र रूपसे होनेवाले प्रभाव" के बारेमें जोरदार शब्दोंमें अपने विचार व्यक्त किये।

यही "तंग करनेकी" नीति है, जिसे एशियाइयोंके विरुद्ध, किन्हीं गैरजिम्मेदार लोगों द्वारा नहीं, बल्कि सरकारके अधिकारियों द्वारा लागू किया जा रहा है। इससे भारतमें जनताकी झुंझलाहट बढ़ती है और साथ ही, इससे इस कठिन समस्याका निदान करना भी लगभग असम्भव हो जाता है।

आपका, आदि,
जोजेफ जे॰ डोक

[अंग्रेजीसे]
रैंड डेली मेल, १२-३-१९०९

(२) 'ट्रान्सवाल लीडर'को लिखा एमिल नैथनका पत्र

[जोहानिसबर्ग
मार्च १२, १९०९]

श्री गांधी एक बड़े कामके सिलसिलेमें, जिसे उन्होंने सही हो या गलत, अपना लिया है, तीन माहकी कैद भोग रहे हैं। कुछ दिन हुए ऐसी खबर उड़ी थी कि जब वे प्रिटोरियाकी एक अदालत में बयान दे रहे थे उस समय उनके हाथों में हथकड़ियाँ पड़ी थीं। इस खबरको सच मानना कठिन था, लेकिन आपके आज सुबहके अंक में पादरी डोकने इस खबरकी ओर फिर ध्यान आकृष्ट किया है।

मुझे नहीं मालूम कि जेलके कायदोंके अनुसार किसी कैदीको अदालत में गवाही देते समय सब परिस्थितियों में हथकड़ी पहनाना जरूरी है या नहीं। यदि यह सच है कि श्री गांधीको—जो निहायत शान्त और सरल, उच्च शिक्षा प्राप्त और अत्यन्त शिष्ट व्यक्ति हैं—हथकड़ियाँ पहनाकर अनावश्यक अपमानका भागी बनाया गया था तो मुझे यह बात बहुत ही बर्बर, अत्यन्त लज्जास्पद और शर्मनाक लगती है।

मुझे विश्वास है कि इसकी जाँच की जायेगी, और यदि खबर सच्ची तथा [हथकड़ी पहनानेकी] कार्रवाई नाजायज हो तो [श्री गांधीके प्रति किये गये] अन्याय और अपमानका प्रतिकार किया जायेगा और गलती करनेवालेको पर्याप्त दण्ड दिया जायेगा।

आपका, आदि,
एमिल नैथन

[अंग्रेजीसे]
ट्रान्सवाल लीडर, १५-३-१९०९