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परिशिष्ट

(३) "खेद-प्रकाशन"[१]

विषयकी चर्चाके दौरान ही हम इस बातपर खेद प्रकट करना चाहेंगे, और हमारा विश्वास है कि यह खेद-प्रकाश नेटालफी सामान्य जनताकी ओरसे है, कि ट्रान्सवालके कुछ अधिकारियोंने अभी उस दिन श्री गांधीको पुलिस अदालतमें गवाही देनेके लिए पैदल ले जाते समय हथकड़ियाँ पहनाकर उन्हें अपमानित करना आवश्यक समझा। हमारा विश्वास है कि कायदोंके अन्तर्गत ऐसी ही व्यवस्था है। लेकिन श्री गांधी और कुछ नहीं तो एक राजनीतिक कैदी हैं, और इस दृष्टिसे उन्हें नीची हालत में गिरे हुए अपराधियोंकी अपेक्षा बेहतर व्यवहार पानेका हक हैं। जो कायदा किसी आदमीको, उसपर कोई भी अभियोग क्यों न हो, ऐसे व्यवहारका भागी बनाता है, अमानुषिक है; और इस खास मामले में तो उसका उपयोग और भी नहीं करना चाहिए था, क्योंकि इससे एशियाश्यों के प्रति ट्रान्सवाल [सरकार] के रवैयेके विरोधियोंको एक नया कारण मिलेगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २७-३-१९०९

(४) कामन्स सभामें प्रश्न

श्री ओ'ग्रेडीने पूछा कि क्या उपनिवेश उपमन्त्रीको ज्ञात है कि ट्रान्सवालके भारतीय नेता श्री गांधीको, जो पंजीयन कानूनों के अन्तर्गत तीन महीनेकी कड़ी कैदकी सजा भोग रहे हैं, १० मार्चको प्रिटोरिया जेलसे मजिस्ट्रेटकी अदालत तक, जहाँ कि उनकी उपस्थिति गवाहके रूपमें आवश्यक थी, हथकड़ी पहनाकर ले जाया गया; क्या वे इस बातकी जाँच करेंगे कि अधिकारियोंने श्री गांधीको जानबूझकर इस प्रकार अपमानित किया था अथवा ऐसा गलतीसे हुआ; और क्या ट्रान्सवाल सरकारसे प्रार्थना की जायेगी कि वह ब्रिटिश भारतीयोंके साथ, जो अपनी अन्तरात्माके अर्थ जेल जा रहे हैं, नैतिक अपराधोंके लिए दण्डित कैदियोंकी अपेक्षा कम कठोर व्यवहार करे?

कनेल सीली: ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि श्री गांधीको कोई विशेष असुविधा सहनी पड़ी है। श्री गांधी के साथ हर दृष्टिसे वैसा ही व्यवहार किया गया जैसा कि किसी दूसरे कैदी के साथ होता, और पहले एक मौकेपर श्री गांधीने स्वयं कहा था कि मैं दूसरी तरहका व्यवहार नहीं चाहता...मुझे अपने इस कथनके ठीक होने में विश्वास है कि श्री गांधीके साथ किसी विशेष प्रकारका अपमानजनक व्यवहार नहीं किया गया है...मेरे सामने जो प्रमाण आये हैं उनसे मैं सन्तुष्ट हूँ कि श्री गांधीको उस अपमानसे तनिक भी ज्यादा नहीं सहन करना पड़ा है जो वैसे किसी मामले में किसी भी रंगके किसी भी व्यक्तिको सहना पड़ता।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-६-१९०९

(५) ट्रान्सवालके प्रधानमन्त्रीकी कार्यवाही

प्रधानमन्त्रीका कार्यालय
प्रिटोरिया
मई २१, १९०९

कार्यवाही नं॰ २२३

मन्त्रियोंको परमश्रेष्ठ डिप्टी गवर्नरके इस माइकी १३ तारीखकी कार्यवाही संख्या १५/१/०९ (२), की प्राप्ति स्वीकार करनेका सम्मान प्राप्त है। इस कार्यवाही के साथ संलग्न परममाननीय उपनिवेश-मन्त्री द्वारा प्रेषित २४ अप्रैलका पत्र, संख्या १४६, भी प्राप्त हुआ, जो श्री मो॰ क॰ गांधी के साथ जेलमें हुए व्यवहारके विषयमें है।

  1. यह अंश "ट्रीटमेन्ट ऑफ मि॰ गांधी" (श्री गांधी के साथ व्यवहार) शीर्षक रिपोर्टसे लिया गया है।