यदि आप पहला चुनते हैं, तो आपको सारे मामलेका संचालन-भार ठीक उसी प्रकार मेरे ऊपर छोड़ देना चाहिए, जैसे मन्त्रिमण्डलने कूटनीति-विषयक बातें सर एडवर्ड सीलीपर छोड़ दी हैं। कूटनीति केवल वैयक्तिक साधन और गोपनीय कार्योंके जरिये सम्भव है।
किन्तु यदि आप राजनयिक तरीका ही पसन्द करें तब मैं एक तरफ हट जाऊँगा, ताकि सर मंचरजी स्वतन्त्रतापूर्वक काम कर सकें। मैं ऐसे किसी भी कार्यमें भाग नहीं लूँगा जो मुझे वर्तमान स्थितिमें अनुचित और गलत लगता है।
पिछले दस दिनोंके कामके फलस्वरूप में एक ओर लॉर्ड कू, लॉर्ड मॉर्ले, लॉर्ड लैंसडाउन और लॉर्ड कर्ज़न, तथा दूसरी ओर लॉर्ड सेल्बोर्न, जनरल स्मटस और सर जॉर्ज फेरारके सम्पर्क हूँ। मैं अगले सप्ताह, शायद बुधवारको, जनरल स्मट्ससे बातचीत करूँगा। जिन लोगों के नाम मैंने गिनाये हैं, वे सभी समझौते के इच्छुक हैं।
इस बातको मद्देनजर रखते हुए कि मैं इस मामलेमें कितनी दूरतक जा चुका हूँ, मेरी आपको सलाह है कि आप फिलहाल सारी बातें मुझपर छोड़ दें, और यदि समझौता-वार्ता विफल हो जाये तो आप सर मंचरजी द्वारा सुझाये गये तरीकेको आजमायें।
कृपया यथाशीघ्र मुझे सूचित करें कि आपका क्या निर्णय है ।
आपका अत्यन्त विश्वस्त,
ऍम्टहिल
हस्तलिखित मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ४९६७) से।
परिशिष्ट १७
गांधीजीके नाम लॉर्ड ऍम्टहिलका पत्र
जुलाई २८, १९०९
मैं घरसे दूर हूँ और मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला है। रात आधीसे भी ज्यादा बीत चुकी है और मैं दिन-भरके सख्त कामके कारण थका हुआ भी हूँ, इसलिए इसका जवाब जल्दीमें मैं कल फिर जल्दी ही निकल जाऊँगा; अगर आज ही जवाब न दूँ तो बहुत देर हो जायेगी। आपको पिछली बार लिखनेके बादसे मैं चुप नहीं बैठा हूँ। लॉर्ड सेल्बोर्न, लॉर्ड क्रू और सर जॉर्ज फेरारसे मेरी लम्बी बातचीत हुई है, और मैं लॉर्ड मॉल, जनरल स्मट्स तथा दूसरे लोगोंसे भी मिला हूँ। लॉर्ड कर्ज़न मेरे साथ-साथ काम में लगे हैं।
उल्लिखित व्यक्तियों में से किसीको भी समझौतेके खिलाफ कोई जिद नहीं है, किन्तु उनपर अनुचित दबाव डालने या जनमत उभारनेसे कोई बात नहीं बनेगी। व्यक्तिगत बातचीत और पत्र-व्यवहार ही ठीक उपाय होगा।
आपके प्रश्न के उत्तरमें, आप कृपया पहले अपना वक्तव्य मुझे दिखा दें; तभी मैं ज्यादा ठीक ढंगसे सुझा सकूँगा कि आप उस सम्बन्ध में क्या करें। किन्तु मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप मुझे बताये बिना न कोई चीज प्रकाशित करें और न लोगोंके पास भेजें। अगर जिम्मेदार राजनीतिज्ञोंमें से किसीको बुरा लग गया या इस अवसरपर उनमें से कोई नाराज हो गया तो खेल बिगड़ जायेगा। शायद यह मेरी अति आशावादिता है, तथापि मुझे सचमुच आशा है कि यदि उन्हींपर छोड़ दिया जाये तो वे किसी समझौतेके लिए राजी हो जायेंगे। अब आप नीचेके प्रश्नका उत्तर भेजनेकी कृपा करें।