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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अगर आप यह कार्य करा सकें तो मैं स्वयं इस मामलेमें एक शब्द भी कहना या बीचमें पढ़ना बिल्कुल नहीं चाहता।

हृदयसे आपका,
ऍम्टहिल

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: २९१/१४१

(३) लॉर्ड ऍम्टहिलके नाम लॉर्ड क्रू का पत्र

गोपनीय

उपनिवेश कार्यालय
अगस्त ११, १९०९

प्रिय एस्टहिल,

मैं भी जनरल स्मट्स और श्री गांधीसे मिला हूँ। मुझे लगता है कि आपने जिस सैद्धान्तिक मतभेदका उल्लेख किया है, वह निश्चय ही मौजूद है, यद्यपि यह कठिनाई, सम्भव है, दुर्निवार न हो।

अगर हम यह मान लें और यह मानना ठीक हो सकता है कि जो भी समझौता होगा उसमें १९०७ के कानून २ की मंसूखी तो रहेगी ही, तो विवादकी बात सिर्फ यह रह जाती है कि जिस तरीकेसे ठीक तरहके छः योग्य आदमियोंको लाना है वह तरीका क्या हो। फिर अगर हम यह मान लें कि समझौता करनेके लिए उनको ऐसे लाइसेंसके अन्तर्गत लाना चाहिए जो वापस न लिया जा सके तो ऐसा लगता है कि इस उद्देश्यको पूरा करनेके लिए कानून बनानेकी जरूरत होगी। उस कानूनमें सीमित संख्या में लोगोंको आने देनेकी साफ व्यवस्था रहे, या जैसा आपने सुझाया है, शिक्षा परीक्षासे ऐसी व्यवस्था कर ली जाये, चाहे मौजूदा कानून में कोई विरोधी विधान ही क्यों न हो। लेकिन जैसा मैंने श्री गांधीसे कहा था, मुझे लगता है कि शिक्षा परीक्षाके अन्तर्गत प्रवेशके सिद्धान्तका समर्थन करना और फिर यह कहना (जैसा आपकी अन्तिम धारामें कहा गया है) कि परीक्षामें पास होने पर भी सरकार किसी आदमीको आने देनेसे इनकार कर सकती है, तर्कसम्मत नहीं है। और मैं मानता हूँ, मुझे यह भरोसा नहीं हो पाया है कि भारतीय समाज इस हलको मान लेगा और आपकी धाराके अन्तर्गत दी गई आम व्यापक अनुमतिका उपयोग नई माँगे करनेमें न करेगा।

मैं कह नहीं सकता कि जनरल स्मट्स इस बातपर या इससे मिलती-जुलती किसी अन्य बातपर राजी किये जा सकते हैं या नहीं मैं उनके पत्रकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
क्रू

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स: २९१/१४१