लॉर्ड कर्जनसे यही प्रस्ताव किया था और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया था; इतना ही नहीं, उन्होंने नेटालके मन्त्रियोंको एक खरीता भी भेजा था, जिसमें उन्हें यह सूचना दी गई थी कि यदि [भारतीयोंकी] शिकायतोंको दूर नहीं किया गया तो [उचित] कार्रवाई की जायेगी। हमें पता नहीं कि इस सारे विचार-विमर्शका क्या नतीजा निकला। शिकायतें दूर करनेका तो कोई आश्वासन हमें नहीं दिया गया; उलटे हमारी स्थिति तबसे और ज्यादा विपन्न हो गई है। कारण, पूर्वोक्त कार्रवाइयों और सख्त कर दी गई हैं और उनपर लगभग निर्दयतासे अमल किया जा रहा है। हमारी जीविकाके साधनोंमें वरावर कमी की जा रही है और ब्रिटिश नागरिकताके बिल्कुल प्राथमिक अधिकारोंके उपभोगकी दृष्टिसे भी इस उपनिवेशमें हमारी हस्ती ही खतरेमें पड़ गई है।
इसलिए हम प्रार्थना करते हैं कि आप सपरिषद् ऐसी कार्रवाई करनेकी कृपा करें जिससे हमें नेटालके सत्ताधारियोंके अत्याचारपूर्ण और अन्यायपूर्ण व्यवहारसे राहत मिले। जरूरत हो तो इस उद्देश्यकी सिद्धिके लिए आप साम्राज्य सरकारके हस्तक्षेपकी भी माँग करें।
परमश्रेष्ठके आज्ञाकारी सेवक,
इंडिया ऑफिस रेकर्ड्स: १७९/२५४
परिशिष्ट २२
क्रू और गांधीजीके नाम लॉर्ड ऍस्टहिलके पत्र
(१) गांधीजीके नाम लॉर्ड ऍम्टहिलका पत्र
अगस्त ३१, १९०९
मुझे आपका कलका पत्र मिल गया है और मुझे हर हालत में आपको आज सुबह पत्र लिख देना था। आपने रायटरको दिये गये जिस वक्तव्यका जिक्र किया है, वह मैंने नहीं देखा है। लेकिन मैं अखवारों में देखूँगा और जरूरत होगी तो इस पत्रमें एक पंक्ति जोड़ दूँगा। तबतक मैं आपको वह बात तो लिख दूँ जो मुझे हर हालत में आज सुबह लिख देनी थी।
कल सुबह मुझे जनरल स्मट्सका एक पत्र मिल था, जो उन्होंने अपनी रवानगीसे पहले जल्दी में लिखा था। उन्होंने मुझसे फिर न मिल सकनेपर खेद प्रकट किया है और बहुत संक्षेपमें सूचित किया है कि उन्होंने लॉर्ड क्रू के सामने कुछ प्रस्ताव रखे हैं। मुझे मालूम हुआ है, प्रस्ताव ये हैं कि १९०७ का कानून २ मंसूख कर दिया जाये और हर साल एक सीमित संख्या में शिक्षित भारतीय प्रवासियोंको स्थायी निवासके सर्टिफिकेट जारी किये जायें। लेकिन जो-कुछ उन्होंने कहा है उससे मुझे भय है कि वे "अधिकार" के प्रश्नपर हमारी बात न मानेंगे। कल मैं लन्दन गया था और मैंने लार्ड सभामें लॉर्ड क्रू से तुरन्त भेंटका समय माँग लिया। मैंने उनसे कहा कि वह वक्त आ गया है जब मैं उनसे वक्तव्य देनेके लिए कह सकता हूँ। लॉर्ड क्रू ने अभी वह पत्र नहीं पढ़ा था, जो उन्हें जनरल स्मट्सने लिखा है। इसलिए उन्होंने संसदमें वक्तव्य देनेमें आपत्ति की। उन्होंने इसका कारण यह बताया (और मेरा खयाल है, यह बिल्कुल ठीक ही है) कि जनरल स्मट्सको शायद दक्षिण आफ्रिका पहुँचकर जो घोषणा करनी पड़ेगी उसपर पहलेसे चर्चा करना ठीक न होगा। मैंने मान लिया कि यह बिल्कुल उचित है, लेकिन यह बताया कि आप उत्तरकी प्रतीक्षा कर रहे हैं; आपका समय कीमती है और आपको इस देश में प्रतीक्षामें रोक रखना ठीक नहीं होगा। तब लॉर्ड क्रू ने कहा कि वे आपको सूचित