पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/६३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५९६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करेंगे कि आप खुद उनसे या उनकी ओर उनके विभागके किसी सदस्यसे मिल लें। मैंने इस बात से सहमति प्रकट की कि इससे ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता। तब हमने पूरे प्रश्नपर विचार किया और मैंने "अधिकार" के प्रश्नपर चर्चा की। लॉर्ड क्रू मेरे इस कथनसे प्रभावित हुए जान पड़े कि भारतीयोंको साम्राज्यके किसी भी भागमें जानेका अधिकार कमसे-कम सिद्धांत-रूपमें सदा ही प्राप्त रहा है और वह पहली बार ट्रान्सवालमें ही छीना गया है। आपको सन्तुष्ट करनेके लिए वे बहुत चिन्तित हैं और उनका साधारण रुख पहलेसे ज्यादा सहानुभूतिपूर्ण था। इसलिए अगर आप उनसे स्वयं मिलें तो आपके लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करनेका बहुत अच्छा अवसर है। यह तय करना आपका काम है कि आप सैद्धान्तिक अधिकारके लिए अनाक्रामक प्रतिरोधको जारी रखनेके लिए बँधे हैं या नहीं। लेकिन मैं तो यह आशा करता हूँ कि आप इसके लिए बँधे हैं, ऐसा आपको न लगेगा; क्योंकि आपकी कौमकी खातिर मैं इस संघर्षकी समाप्तिके लिए चिन्तित हूँ। इसका दूसरा कारण यह भी है कि आप सम्मानकी खातिर अबतक काफी कर चुके हैं। १९०७ के कानून २ की मंसूखीसे आपको एक काफ़ी ठोस चीज मिल जायेगी। आप यह बिल्कुल स्पष्ट कर सकते हैं कि यद्यपि आपको इस अव्यावहारिक संघर्षको त्यागना उचित मालूम होता है, लेकिन फिर भी अधिकारके प्रश्नपर आपकी राय ज्यों-की-त्यों है।

मैं इस समय आपको इतनी ही सलाह दे सकता हूँ। लेकिन लॉर्ड क्रू या उनके प्रतिनिधिसे आपके मिल लेनेके बाद हमें फिर सलाह करनी होगी।

आशा है, आपने मेरी लिखी डोककी किताबकी भूमिका देख ली होगी। मेरा खयाल है कि उसमें यह बात लेख-रूपमें आ जाती है कि मैं "अधिकार" के प्रश्नपर आपसे बिल्कुल सहमत हूँ।[१]

आपका विश्वस्त,
ऍम्टहिल

[अंग्रेजीसे]

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०३६) से।

(२) लॉर्ड क्रू के नाम लॉर्ड ऍम्टहिलका पत्र

अगस्त ३०, १९०९

प्रिय लॉड क्रू

मुझे अभी-अभी जनरल स्मट्सका एक रुक्का मिला है, जो उन्होंने अपनी रवानगीसे पहले जल्दीमें लिखा है। उसमें उन्होंने मुझे सूचित किया है कि उनका आपसे ब्रिटिश भारतीयों के प्रश्नपर समझौता हो गया है। उन्होंने ठीक-ठीक यह नहीं बताया है कि क्या समझौता हुआ है; लेकिन मुझे पता चला है कि वह मेरे सुझाये हुए समझौतेसे बहुत कम पड़ता है।

क्या बुधवारको लार्ड सभामें वक्तव्य देना आपके लिए सुविधाजनक रहेगा?

अगर ऐसी बात हो तो क्या मैं बुधवारको ४-३० बजेसे पहले आपसे एक छोटा-सा प्रश्न पूछ सकता हूँ? इसका अर्थ यह है कि वह "निजी सूचनासे" तथा भाषण दिये बिना पूछा जाये।

अगर सार्वजनिक वक्तव्य देनेमें अभी असुविधा हो तो मैं आपपर दबाव डालना नहीं चाहता, लेकिन श्री गांधीको जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी जाने देना अच्छा होगा। मैं समझता हूँ कि वे बातचीतका परिणाम जाननेके लिए ही रुके हुए हैं।

हृदयसे आपका,
ऍम्टहिल


  1. लॉर्ड ऍम्टहिलकी भूमिका के लिए, जिसमें इस प्रश्नपर उनका रुख विस्तारसे दिया गया है, देखिए परिशिष्ट १८।