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परिशिष्ट

[लॉर्ड क्रू की टिप्पणी]

मैं लॉड ऍम्टहिलते मिल चुका हूँ और मैंने उन्हें बता दिया है कि इस समय प्रश्न क्यों नहीं पूछना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: २९१/१४१

परिशिष्ट २३

गांधीजीके नाम लॉर्ड ऍम्टहिलका पत्र

निजी

सितम्बर ११, १९०९

प्रिय श्री गांधी,

मुझे भय है, आप यह पर्याप्त रूपसे स्पष्ट नहीं कर सके कि लॉर्ड मॉर्लेसे आप फिर क्यों मिलना चाहते हैं, नहीं तो आपको ऐसा अनुत्साहित करनेवाला उत्तर नहीं मिल सकता था।

स्पष्ट ही, आपने यह कहा कि आप अपनी स्थिति फिर बताना चाहते हैं। अगर ऐसी बात है तो लॉर्ड मॉर्लेको ज्यादा वक्त देनेके लिए राजी करनेका यह तरीका नहीं था। मेरा खयाल है, आपको "अधिकार" के प्रश्नको नई घटनाओं और भारतके आन्दोलन के प्रकाशमें स्पष्ट करना था, जिससे लॉर्ड मॉर्ले यह देख सकते कि आपको कोई नई बात कहनी है और आप स्थितिपर नया प्रकाश डाल सकते हैं। मेरा खयाल है कि आप अब भी उन्हें एक पत्र लिखेंगे तो ठीक होगा। आप इस पत्रमें उन्हें बतायें कि आपने जनरल स्मट्सके प्रस्तावोंको किन कारणोंसे नहीं माना है। इससे आपके ये कारण पहलेसे ही लिखित रूपमें आ जायेंगे, अन्यथा आपपर यह दोष फिर लगाया जायेगा कि आप एक रियायत मिलनेपर नई माँग रख देते हैं। लॉर्ड मॉर्ले इस प्रश्नको नहीं समझते। इसलिए आपको लिखित रूपमें एक साफ और सीधा-सादा स्पष्टीकरण देनेकी बातकी उपेक्षा न करनी चाहिए। आप बादमें इसका उल्लेख कर सकेंगे और इसे अपने मामलेके निश्चित विवरण के रूपमें बता सकेंगे। क्या आप ऐसे पत्रका मसविदा बनाकर भेजनेसे पहिले ही मुझे दिखा सकते हैं?

अवश्य ही लॉर्ड क्रू लन्दनसे बाहर गये होंगे, अन्यथा आपके पत्रका उत्तर निश्चय ही मिल गया होता। आशा है, इस पत्रके मिलनेके पहले वह आपको मिल जायेगा।

आपका विश्वस्त,
ऍम्टहिल

श्री मो॰ क॰ गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५०६५) से।