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परिशिष्ट २७

गांधीजीके नाम टॉल्स्टॉयका पत्र

यास्नाया पोलियाना
अक्तूबर ७, १९०९

मो॰ क॰ गांधी
ट्रान्सवाल

मुझे अभी-अभी आपका अत्यन्त दिलचस्प पत्र मिला। उससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। भगवान हमारे ट्रान्सवालके भाइयों तथा सहयोगियोंकी मदद करें।

कठोरतासे कोमलताका, दर्प तथा हिंसासे विनम्रता व प्रेमका ठीक वही संघर्ष यहाँ हमारे बीच भी प्रतिवर्ष अधिकाधिक जोर पकड़ता जा रहा है। यह जोर धार्मिक आदेश और दुनियवी कानूनोंमें चल्नेवाले एक तीव्रतम विरोधके रूप में, अर्थात् सैनिक सेवासे इनकार करनेके रूपमें, खास तौरसे दिखलाई पड़ता है। सैनिक सेवासे इनकार करनेकी घटनाओंकी संख्या रोज बढ़ती जा रही है।

"एक हिन्दू के नाम पत्र" मैंने लिखा था, और उसका अनुवाद बहुत ही सुन्दर है। कृष्ण-सम्बन्धी पुस्तकका नाम आपको मास्कोसे भेज दिया जायेगा। जहाँतक "पुनर्जन्म" शब्दकी बात है, मैं खुद उसे छोड़ना नहीं चाहूँगा; क्योंकि, मेरी रायमें, पुनर्जन्म में विश्वास कभी भी उतना दृढ़ नहीं हो सकता जितना कि आत्माकी अमरता तथा ईश्वरके न्याय व प्रेममें। फिर भी आप उस शब्दको छोड़नेके बारेमें जैसा चाहे कर लें। यदि मैं आपके प्रकाशन-कार्य में मदद कर सकूँ तो मुझे बहुत खुशी होगी। मेरे पत्रके हिन्दू भाषा में अनुवाद तथा प्रचारसे मुझे प्रसन्नता ही होगी।

मेरा खयाल है, कोई प्रतियोगिता, अर्थात् एक धार्मिक विषयके सम्बन्ध में किसी प्रकारका आर्थिक प्रलोभन देना, उचित नहीं होगा।

मैं भ्रातृ-भावसे आपका अभिनन्दन करता हूँ और आपके साथ पत्र व्यवहार होनेकी मुझे खुशी है।

लिओ टॉल्स्टॉय

टॉलस्टॉयके हस्ताक्षरयुक्त हस्तलिखित मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१५२ 'बी॰') से।