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परिशिष्ट ३१

उपनिवेश कार्यालय और ऍम्टहिलकी ओरसे पत्र

(१) गांधीजीके नाम उपनिवेश कार्यालयका पत्र

डाउनिंग स्ट्रीट
नवम्बर ३, १९०९

महोदय,

लॉर्ड क्रू के निर्देशानुसार मैं आपके पिछले माहकी तारीख १९ के पत्रकी प्राप्ति स्वीकार करता हूँ। आपका यह पत्र उन प्रस्तावों के बारेमें है जिनका उल्लेख इस विभागके पिछले माहकी तारीख ४ के पत्र में ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंके सवालपर चल रहे विवादसे सम्बन्धित कानूनके सम्भाव्य आधारके रूपमें हुआ था।

मुझे आपको यह सूचित करनेके लिए कहा गया है कि ये प्रस्ताव वही हैं जो लोर्ड महोदयने आपके सामने १६ सितम्बरको यह जताकर रखे थे कि वे श्री स्मट्सकी ओरसे आये हैं। प्रस्ताव ये थे: सन् १९०७ का अधिनियम २ रद कर दिया जायेगा; और प्रतिवर्ष ६ शिक्षित भारतीयोंको निवासके स्थायी अधिकारके प्रमाणपत्रके आधारपर उपनिवेश में प्रवेश दिया जायेगा। आपकी भी राय यह थी कि ये प्रस्ताव प्रगतिकी दिशामें उठाये गये ठोस कदम हैं और व्यावहारिक परिणामोंकी दृष्टिसे वे मौजूदा कठिनाईका हल पेश कर सकेंगे। इन प्रस्तावोंका आपके द्वारा पेश किये गये प्रस्तावोंसे कोई सम्बन्ध नहीं है; यह उनसे भिन्न है। आपके प्रस्तावों में प्रवेशके सैद्धान्तिक अधिकारका दावा अन्तर्निहित है; उसे स्वीकार करा सकनेके आश्वासन देनेमें लॉर्ड महोदय असमर्थ हैं। १६ सितम्बरकी मेंटमें लॉर्ड महोदयने आपको समझाया ही था कि श्री स्मट्स यह दावा स्वीकार नहीं कर सकते कि एशियाश्योंको प्रवेशाधिकारके सम्बन्ध में या अन्यथा यूरोपीयोंके साथ समान दर्जा दिया जाये। इसलिए लॉर्ड महोदय आपकी इस बातको नहीं मान सकते कि उक्त भेंटमें उन्होंने श्री स्मट्सकी स्वीकृतिके लिए उनके सामने आपका प्रस्ताव रखनेका वादा किया था। लॉर्ड महोदयने आपकी बातचीतसे इतना ही समझा था कि आपकी इच्छा है कि वे ट्रान्सवालकी सरकारको तार द्वारा यह सूचित कर दें कि यद्यपि आप यह स्वीकार करते हैं कि श्री स्मटसके ये सुझाव [अभीष्ट दिशामें व्यावहारिक] प्रगतिके सूचक हैं तथापि आप सैद्धान्तिक समानताकी अपनी माँग छोड़नेके लिए तैयार नहीं हैं। लॉर्ड महोदयने उक्त आशयका तार कर दिया है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
फ्रांसिस जी॰ एस॰ हॉपवूड

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ ५१५७) से।