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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
अक्तूबर ३: गांधीजीने नेटालके भारतीयोंसे अनुरोध किया कि वे गिरमिटिया पद्धतिको खत्म कराने के लिए आन्दोलन करें।
अक्तूबर ५: दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको कोमाटीपूर्टमें ८० भारतीयोंको एक छोटे और गन्दे कमरेमें उस दिया जानेका समाचार तारसे दिया।
अक्तुबर ६: डर्बनसे ट्रान्सवाल रवाना हुए।
अक्तूबर ७: बिना पंजीयन प्रमाणपत्रों (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) के ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेके अपराधमें अन्य १५ भारतीयोंके साथ फोक्सरस्टमें गिरफ्तार किये गये।
अक्तूबर ८ : उक्त १५ व्यक्तियोंके साथ मजिस्ट्रेटके सामने पेश किये गये। जमानतपर छूटनेसे इनकार किया; एक हफ्तेके लिए हवालातमें भेज दिये गये।
अक्तूबर ९: ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) ने उपनिवेश-सचिव, प्रिटोरिया, को लिखा कि डेलागोआ-बेसे लौटनेवाले भारतीयोंके साथ किये गये कथित दुर्व्यवहारकी सार्वजनिक जाँच की जाये।
अक्तूबर ११: फोक्सरस्ट जेलमें अपर्याप्त भोजन दिया जानेके बारेमें आवासी (रेज़िडेन्ट) मजिस्ट्रेटके नाम प्रार्थनापत्रका मसविदा बनाया।
अक्तूबर १२: बारबर्टनसे भारतीयोंके एक दलको, जिसमें नाबालिग बच्चे भी शामिल थे, देशसे बाहर पुर्तगाली क्षेत्रमें भेजा गया।
डर्बनमें राष्ट्रीय परिषदकी सभा हुई।
अक्तूबर १३: गांधीजीने, भारतीयोंको हवालातसे सन्देश भेजा कि वे मातृभूमिके लिए जेल जाना स्वीकार करें।
अक्तूबर १४: दावजी आमद और अन्य व्यक्तियोंकी ओरसे सहायक मजिस्ट्रेट डी विलियर्सके सामने पैरवी की। मुकदमेसे पहले भारतीय तरुणोंके नाम सन्देश भेजा। दो महीनेकी सख्त सजा मिली।
जेल जाते समय भारतीयोंके नाम संदेश दिया कि वे अन्ततक दृढ़ रहें।
डर्बनमें हुई नेटाल भारतीय कांग्रेसकी सभा में प्रस्ताव पास किया गया कि सरकारसे शैक्षणिक जाँच सम्बन्धी आज्ञाको वापस लेनेकी माँग की जाये।
अक्तूबर १५: गांधीजीसे मार्केट स्क्वेयरमें सड़क बनानेका काम लिया गया। रायटरके फोक्सरस्ट-स्थित संवाददाताने लिखा: "गांधीजीने अपने-आपको ट्रान्सवालका सबसे सुखी आदमी कहा।"
अक्तूबर १६: ब्रिटिश भारतीय संघ और नेटाल भारतीय संघने रिचको तार देकर इस बातपर क्षोभ प्रकट किया कि गांधीजीसे सड़क बनानेका काम लिया गया।
लन्दनमें सर मंचरजी भावनगरीकी अध्यक्षतामें सभा हुई जिसमें लाला लाजपतराय और विपिनचन्द्र पाल भी बोले। सभामें गांधीजीके कारावास-दण्डका विरोध किया गया। गांधीजीको सजा दी जानेपर जिन लोगोंने सहानुभूति प्रदर्शित की थी और बधाई दी थी, कस्तूरबाने उन्हें धन्यवाद दिया।
अक्तूबर १७ के पूर्व: फीरोजशाह मेहताने लॉर्ड ऍम्टहिलको तार दिया कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके प्रति होनेवाले दुर्व्यवहारके कारण भारतीय जन-मानस बहुत क्षुब्ध हुआ है। उन्होंने इस प्रकारके अत्याचारोंसे भारतीयोंको बचानेके लिए ब्रिटिश सरकारसे हस्तक्षेप करनेका आग्रह किया।