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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
अक्तूबर १७: रिचने उपनिवेश कार्यालयको ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन) और नेटाल भारतीय कांग्रेसके तारोंकी प्रतियाँ भेजीं।
अक्तूबर १८: फोर्ड्सबर्गकी हमीदिया मस्जिदमें सार्वजनिक सभा हुई।
अक्तूबर २१: हाउस ऑफ लॉर्ड्समें ऍम्टहिलके प्रश्नका जवाब देते हुए अर्ल ऑफ क्रू ने कहा कि उन्होंने गांधीजीकी गिरफ्तारी के बारेमें तथ्य जाननेके विचारसे ट्रान्सवाल सरकारको तार किया है। उन्होंने यह भी बताया कि गांधीजी सत्याग्रह संघर्ष में भाग ले रहे हैं और यह वाजिब ही है कि उन्हें उसकी सजा मिले।
अक्तूबर २२: भारतके वाइसरॉयने भारत-कार्यालयको ट्रान्सवालमें सत्याग्रहियोंके प्रति किये जानेवाले व्यवहारपर भारतीयोंके क्षोभसे अवगत कराया और सिफारिश की कि उनके प्रति उदारताका बरताव किया जाना चाहिए और प्रतिवर्ष छ: शिक्षित भारतीयोंके प्रवेशकी माँग स्वीकार की जानी चाहिए।
अक्तूबर २५: गांधीजीको फोक्सरस्ट जेलसे कैदीकी पोशाकमें डाह्या लालाके मुकदमेमें गवाही देनेके लिए जोहानिसबर्ग लाया गया; उन्होंने गाड़ीमें बैठने से इनकार कर दिया और पार्क स्टेशनसे फोर्ट तक कैदियोंका थैला लटकाये हुए वे पैदल ही गये।
अक्तूबर २७: जोहानिसबर्ग जेलसे उच्च न्यायालय ले जाया गया।
अक्तूबर ३१: उपनिवेश-मन्त्रीने ट्रान्सवालके गवर्नरको तार देकर अनुरोध किया कि सीमित संख्या में शिक्षित व्यक्तियोंका ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेका अधिकार अस्थायी तौरपर मान लिया जाये।
नवम्बर ३: ट्रान्सवाल सरकारने उपनिवेश कार्यालयको तार दिया कि गांधीजीसे फोक्सरस्टमें होनेवाली कृषि-प्रदर्शनी के मैदानमें ढ़ाई दिन गड्ढे खोदनेका काम और बादमें नगरपालिकाके खेतों और जेलके बगीचोंमें भी काम लिया गया।
नवम्बर ४: गांधीजीको कैदियोंके कपड़ोंमें फोक्सरस्ट जेल ले जाया गया।
हमीदिया मस्जिदमें ट्रान्सवालकी स्थितिपर विचार करनेके लिए सार्वजनिक सभा हुई, जिसमें यूरोपीयोंने भी भाषण दिये। सभामें छः शिक्षित भारतीयोंके प्रवेशके अधिकारकी माँग की गई।
नवम्बर ५: ट्रान्सवालकी सरकारने उपनिवेश कार्यालयके अक्तूबर १३ के तारके जवाबमें कहा कि शिक्षित भारतीयोंके प्रवेशके बारेमें की गई भारतीय माँग अस्वीकृत की गई है। यह भी कहा कि वर्तमान कानूनमें इसकी व्यवस्था है किन्तु भारतीय आन्दोलन करनेके विचारसे कानूनकी अवज्ञा कर रहे हैं।
नवम्बर ९ : गांधीजीने वेस्टको पत्रमें लिखा कि सत्याग्रह एक धर्म-युद्ध है। यद्यपि, कस्तूरबा बहुत अधिक बीमार थीं, फिर भी उन्होंने जुर्माना देकर जेलसे छुटकारा पाना स्वीकार नहीं किया; कस्तूरबाको पत्र लिखा।
नवम्बर १४: अन्य कैदियोंके साथ गांधीजीको नगरपालिकाके जलप्रदायों (वॉटर वर्क्स) पर काम कराया गया, कब्रिस्तान और फौजियोंकी कब्रें साफ कराई गई।
नवम्बर १९: सर्वोच्च न्यायालयके इस फैसलेपर कि उपनिवेशमें लौटकर आनेवाले अधिवासी भारतीयोंको पंजीयन करानेकी अनुमति मिलनी चाहिए, अपील दायर करनेवाले बार-बर्टन और फोक्सरस्टके ५० कैदियोंको छोड़ा गया।