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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१९०९

जनवरी १, १९०९: नेटाल भारतीय कांग्रेसके संयुक्त मन्त्री दादा उस्मानके घर प्रीति-भोजमें गांधीजीका स्वागत किया गया। गांधीजी सभामें बोले।
जनवरी २ के पहले: अँगूठेकी छाप न देनेके कारण प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम (इमिग्रेशन रिस्ट्रिक्शन ऐक्ट) के अन्तर्गत दादा उस्मान, पारसी रुस्तमजी और एम॰ सी॰ आंगलिया नजरबन्द किये गये।
जनवरी २: गांधीजीने 'इंडियन ओपिनियन' में अपने नव-वर्षके सन्देशमें देशवासियोंसे स्वदेशीका व्रत लेनेकी प्रार्थना की।
'इंडियन ओपिनियन' में गांधीजीकी दूसरी जेल-यात्राके अनुभव प्रकाशित हुए, जिसमें उन्होंने कहा कि जेल जाना राजनीतिक निर्योग्यताओंके विरुद्ध लड़नेका सबसे कारगर उपाय है।
१८९४ के कानून ६, खण्ड ३ के अन्तर्गत प्रिटोरिया में धरना देनेवालोंकी गिरफ्तारी।
जनवरी ४: प्रिटोरियाके धरनादारोंको सूचित किया गया कि उनपर नये कानूनके खण्ड ७ के अन्तर्गत मुकदमा चलाया जा रहा है और उन्हें निर्वासित किया जा सकता है।
जनवरी ५: गांधीजीने 'नेटाल मर्क्युरी' को भेंट देते हुए कहा कि भारतीय विशुद्धतम तरीकेसे संघर्ष कर रहे हैं।
फोक्सरस्टमें हरिलाल गांधी और दूसरे लोग हवालातमें।
रूडीपूर्टमें तीन भारतीयोंपर पंजीयन प्रमाणपत्र (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) पेश न करनेका आरोप लगाया गया।
जनवरी ६: हमीदिया मस्जिदके मौलवी अहमद मुख्तियारने फिरसे अनुमतिपत्र नया कराना मंजूर नहीं किया। उन्हें ट्रान्सवाल छोड़नेका आदेश दिया गया। वे केप रवाना हो गये। दाउद मुहम्मद और ३१ अन्य व्यक्तियोंपर पंजीयन प्रमाणपत्र (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) पेश न कर सकनेका आरोप लगाया गया।

जनवरी ७: 'स्टार' ने गांधीजीपर यह आरोप लगाया कि पहले ही एशियाई कानूनके उल्लंघनके जो मामले हुए हैं और जिन्हें अब कानूनी मान्यता दे दी गई है, उन्हीं मामलोंको वे उक्त कानूनको रद करनेकी दलीलके रूपमें पेश कर रहे हैं। बॉक्सबर्गके भारतीय व्यापारियोंको बस्तीकी दुकानदारीके अलावा और किसी तरहके व्यापारिक परवाने देनेसे इनकार किया गया।

जनवरी ९ के पहले: बहुत-से भारतीयोंपर, जिनमें कुछ उपनिवेशमें जन्मे हुए भारतीय भी शामिल थे और जिन्हें ट्रान्सवालसे नेटालको निर्वासित कर दिया गया था, कानून ३६ के विनियमोंके अन्तर्गत मुकदमा चलाया गया और उन्हें नेटालमें प्रवेशके लिए बरायनाम सजा दी गई।
जनवरी ९: गांधीजीने डर्बनके भारतीय व्यापार संघ (इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स) की सभामें भाग लिया और उसके नियमोंके बारेमें कुछ सुझाव दिये।
रिचने उपनिवेश कार्यालयको नेटाल सरकारकी इस विज्ञप्तिके विरुद्ध लिखा कि जनवरी २३ से १४ सालसे ऊपरके भारतीय विद्यार्थी उच्च शालाओंमें भर्ती नहीं किये जायेंगे।