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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
श्री काछलियाकी बात मानकर अपने व्यापारको दाँवपर लगाना पसन्द नहीं करेगा।
ई॰ आई॰ अस्वात और अन्य भारतीय व्यापारियोंने काछलियाका अनुसरण किया।
जनवरी २५: गांधीजीने 'रैंड डेली मेल' को भेंट दी, जिसमें कहा कि जबतक एशियाई व्यापारियोंको दक्षिण आफ्रिकामें उनका अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता, मैं सन्तुष्ट नहीं होऊँगा।
'रैंड डेली मेल' ने लिखा कि यदि सत्याग्रहियोंके तरीके दक्षिण आफ्रिकाकी रंगदार और वतनी आबादीमें भी फैल गये, तो अराजकताकी स्थिति उत्पन्न हो जायेंगी।
जनवरी २६: गांधीजीने तमिल समाजकी सभामें भाषण दिया।
डॉ॰ क्राउजको लिखा कि काछलियाने जो कदम उठाया है उसके विरुद्ध लगाया गया आरोप ठीक नहीं।
साहूकारोंने काछलियाको सूचित किया कि उनका इरादा काछलियाकी सम्पति अस्थायी तौरपर जब्त करनेका है।
अनेक भारतीयोंको निर्वासित करके डेलागोआ-बे भेज देनेकी आज्ञा दी गई। इनमें १४ साल पुराने अधिवासी भारतीय भी शामिल थे।
जनवरी २७: गांधीजीने लॉर्ड कर्जनको भारतीय स्थितिके सम्बन्धमें अपना वक्तव्य भेजा और आशा व्यक्त की कि यदि वे हस्तक्षेप करें, तो संघर्षका मंगलमय अन्त हो सकता है। काछलिया और अन्य ३० व्यक्ति खण्ड ९ के अन्तर्गत गिरफ्तार करके मजिस्ट्रेटके सामने पेश किये गये।
खोलवाड़में भारतीयोंकी सभा हुई, जिसमें निर्णय किया गया कि न परवाने लिये जायें और न फिरसे पंजीयन प्रमाणपत्रको नया कराया जाये।
जनवरी २८: जोहानिसबर्गके भारतीय व्यापारियोंने बिना परवाना व्यापार करके जेल जानेका निश्चय किया।
जनवरी २९. गांधीजीको कस्तूरबाका स्वास्थ्य सुधरनेकी सूचना मिली, और वे डरबन रवाना हुए।
काछलिया, नायडू और अन्य व्यक्तियोंको तीन महीनेकी कैद या ५० पौंड जुर्मानेकी सजा दी गई; शेलतको २ महीनेकी सजा दी गई।
ट्रान्सवाल सरकारने उपनिवेश-मन्त्रीको सूचित किया कि गांधीजीसे आम रास्तोंपर काम लिये जाने की खबर झूठी है, भारतीय कैदियोंके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया है और न ही उनकी धार्मिक भावनाको ठेस पहुँचाई गई है।
फरवरी १: काछलियाकी कारावास अवधिमें ई० आई० अस्वात सर्वसम्मतिसे ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष चुने गये।
फरवरी २: लॉर्ड कर्जनने गांधीजीको सूचित किया कि बोथा और स्मट्ससे उनकी बातचीत हुई है और वे भारतीयोंके साथ उदारता और न्यायका बरताव करनेके लिए उत्सुक हैं।
फरवरी ३: निर्वासनके हुक्मकी अवज्ञा करनेके अपराधमें पारसी रुस्तमजी और अन्य व्यक्ति गिरफ्तार किय गये।
फरवरी ४: गांधीजी कस्तूरबाको ऑपरेशनके बाद स्वस्थ होनेपर फीनिक्स ले गये।
फरवरी ५: ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालयने रौंदेरियाकी अपील खारिज कर दी। हरिलाल गांधी, दाउद मुहम्मद और अन्य प्रमुख भारतीयोंको निर्वासनका हुक्म दिया गया।