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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
फरवरी ९: सरकारी 'गजट' में संघीकरण-कानूनका मसविदा प्रकाशित हुआ। दाउद मुहम्मद और काछलियाने अदालतमें महाजनोंको अपनी सम्पत्तिपर अस्थायी अधिकार देना मंजूर किया।
फरवरी १०: हरिलाल गांधी और अन्य अनेक व्यक्तियोंको फोक्सरस्टमें तीनसे लेकर छः महीने तक की सजा सुनाई गई।
साम्राज्यीय सरकारने रोडेशियाके एशियाई कानूनको मंजूरी नहीं दी।
फरवरी ११: निर्वासनकी सजाके बाद ट्रान्सवालमें पुनः प्रवेश करनेके अपराधमें पारसी रुस्तमजी और अन्य व्यक्तियोंको तीन-तीन महीनेकी सजा दी गई।
फरवरी १५ के पूर्व: राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कन्वेंशन) ने दक्षिण आफ्रिका कानूनका मसविदा पेश किया।
फरवरी १६: वी॰ ए॰ चेट्टियरको तीन महीनेकी सजा दी गई।
जनरल बोथाने गवर्नरको एक पत्र लिखा, जिसमें १९०७ के कानून २ के रद किये जानेकी माँगके विषय में सरकारकी स्थितिका ब्योरा देते हुए इस बातसे इनकार किया कि ऐसी किसी मंसूखीका वचन दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि एशियाई अधिवासियोंमें ९७ प्रतिशत लोगोंने पंजीयन करा लिया है और अनाक्रामक प्रतिरोधकी हालत डाँवाँडोल है।
फरवरी १७: कुछ और सत्याग्रहियोंको तीनसे छः महीने तककी सजा दी गई; अन्य लोग हिरासतमें वापस भेज दिये गये; प्रिटोरिया, हाइडेलबर्ग, जर्मिस्टन आदिसे गिरफ्तारियोंकी खबरें मिलीं।
फरवरी १८: एम॰ ए॰ कामाको तीन महीनेकी सजा । और भी अनेक प्रमुख भारतीय निर्वासित किये गये या जेल भेजे गये।
फरवरी १९: शिनाख्त न देने अथवा पंजीयन प्रमाणपत्र न पेश करनेके अपराधमें छ: भारतीय स्टैंडर्टनमें गिरफ्तार।
फरवरी २०: शिनाख्तके निशान देने से इनकार करने और पंजीयन प्रमाणपत्र पेश न करनेके अपराधमें लिअंग क्विन गिरफ्तार किये गये।
फरवरी २२: गांधीजी फीनिक्ससे जोहानिसबर्ग रवाना हुए।
फरवरी २५: पोलक और व्यासके साथ फोक्सरस्टमें गिरफ्तार।
पंजीयन प्रमाणपत्र पेश न करनेके अपराधमें तीन महीनेकी कैद अथवा ५० पौंड जुर्मानेकी सजा दी गई।
तमिल समाजको संघर्ष जारी रखनेका सन्देश दिया।
फरवरी २८: फ्रीडडॉर्पके हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके तत्त्वावधान में आयोजित ब्रिटिश भारतीयोंकी सभामें गांधीजी, काछलिया, पारसी रुस्तमजी और अन्य लोगोंको जेल जानेपर बधाई दी गई। और संघर्ष जारी रखनेका निश्चय किया गया।
मार्च २: गांधीजीको फोक्सरस्ट जेलसे प्रिटोरिया जेल ले जानेका हुक्म जारी हुआ; और शामकी गाड़ीसे वे सन्तरीके साथ रवाना हो गये।
मार्च ३: प्रिटोरिया सेन्ट्रल जेल पहुँचे।
'इंडियन ओपिनियन' के फोक्सरस्ट-स्थित संवाददाताने तार किया: "गांधी प्रशासनिक कारणोंसे प्रिटोरिया ले जाये गये हैं। मेरा विश्वास है कि यह कदम उन्हें सब लोगों से