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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
बिल्कुल अलग कर देनेके लिए उठाया गया है। निकट भविष्यमें समझौता होनेकी खबर ब्रिटिश भारतीय संघकी कार्यकारिणी बिल्कुल गलत बताती है।"
पोलकने सजायाफ्ता सत्याग्रहियोंकी पत्नियों और रिश्तेदारोंकी सभाका उद्घाटन किया। ई॰ आई॰ अस्वात और लिअंग क्विनको तीन-तीन महीनेकी सजा दी गई।
मार्च ४: गांधीजीको जेलके दरवाजे और फर्श साफ करनेका काम दिया गया।
मुख्य धरनेदार के० के० सामीको, जो तमिल कल्याण समिति (तमिल बेनिफिट सोसाइटी) के मन्त्री भी थे, तीन महीनेकी सजा दी गई।
दो महीनेकी सजा पूरी हो जानेपर रौंदेरिया मुक्त किये गये।
मार्च ५: रौंदेरिया फिर गिरफ्तार ।
केपके रंगदार लोगोंकी सभा संघीकरण कानूनके मसविदेपर चर्चा हुई और संघकी संसदमें प्रतिनिधित्व तथा राजनीतिक अधिकारोंकी माँग की गई।
श्री काछलिया और अस्वातके कैदमें होने के कारण ई॰ एस॰ कुवाड़िया ब्रिटिश भारतीय संघके कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त।
मार्च ६ : गोरोंने बारबर्टन, बॉक्सबर्ग, क्रूगर्सडॉर्प आदि स्थानोंमें बस्तियाँ स्थापित कराने के लिए आन्दोलन शुरू किया।
मार्च ७: हमीदिया इस्लामिया अंजुमनमें ब्रिटिश भारतीयोंकी सभा हुई, जिसमें अन्य लोगोंके अतिरिक्त कुवाड़िया, कैलेनबैक और पोलक भी बोले।
मार्च ८: गांधीजीके कारावाससे सम्बन्धित अपने वक्तव्यमें कर्नल सीलीने कहा कि श्री गांधीको सजा इसलिए दी गई है कि उन्होंने ट्रान्सवाल कानूनका पालन करनेसे इनकार किया, और शाही सरकार ट्रान्सवाल सरकारको पंजीयन प्रमाणपत्रसे सम्बन्धित कानूनको लागू करनेसे नहीं रोक सकती।
मार्च १०: गांधीजीको हथकड़ी डालकर अदालत में गवाही देनेके लिए पेश किया गया। सत्याग्रहियोंने कस्तूरबाको गांधीजीकी तीसरी जेल-यात्रापर बधाई दी।
चीनी सत्याग्रहियोंने गांधीजी और लिअंग क्विनके जेल जानेपर बधाई दी और निर्णय किया कि न्याय और आत्माभिमानके लिए संघर्ष जारी रखा जायेगा।
भारतीय सत्याग्रहियोंको निर्वासितकर डेलागोआ-बेके रास्ते भारत भेजना आरम्भ। ब्रिटिश भारतीय संघने, ट्रान्सवाल और पुर्तगालकी सरकारोंने भारतीयोंके निर्वासनके लिए आपसमें जो प्रबन्ध किया था, उसका विरोध करते हुए ट्रान्सवाल गवर्नरको लिखा।
मार्च ११: जोहानिसबर्ग में भारतीय महिलाओंने सभा की। कस्तूरबाने पत्र भेजा कि यदि मुझे पंख होते, तो मैं उड़कर सभामें आ जाती।
कस्तूरबा और अन्य चार महिलाओंके हस्ताक्षरसे ट्रान्सवालके अखबारोंके नाम पत्र भेजा गया।
डोकने जोहानिसबर्गके अखबारोंके नाम पत्र लिखा, जिसमें गांधीजीको हथकड़ी डालनेकी बातका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि श्री गांधी-जैसे आदमीके इस अनावश्यक अपमानसे उपनिवेशके अधिकांश व्यक्ति लज्जाका अनुभव करते हैं।
मार्च १२: 'इंडियन ओपिनियन' के विशेष संवाददाताने तार द्वारा खबर दी कि गांधीजी दुबले और बीमार दिखाई पड़ते हैं।