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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
न्यासालैंडके भारतीयोंकी सभा ट्रान्सवालके भारतीयोंके प्रति किये जानेवाले दुर्व्यवहार और साम्राज्यीय सरकारकी कमजोरियोंकी निन्दा की गई।
किम्बलेकी अश्वेत जातियोंकी सभामें इस बातपर चिन्ता प्रकट की गई कि प्रस्तावित संविधानमें उनके हितोंकी रक्षाकी समुचित व्यवस्था नहीं है।
मार्च १३: 'इंडियन ओपिनियन' ने गांधीजीके फोक्सरस्टसे प्रिटोरिया सेंट्रल जेल भेज दिये जानेके सम्बन्धमें इस सरकारी वक्तव्यकी आलोचना की कि ऐसा केवल प्रशासनिक सुविधाके खयालसे किया गया है; और लिखा कि इसका मन्शा केवल यह है कि श्री गांधीको अन्य लोगोंसे बिल्कुल अलग रखा जाये, ताकि उनके देश-भाइयोंको उनसे किसी तरहकी प्रेरणा और प्रोत्साहन न मिल सके।
ब्रिटिश भारतीय संघने हाई कमिश्नरसे प्रार्थना की कि वे निर्वासन नीतिके सम्बन्ध में एक शिष्टमण्डलसे मिलनेकी कृपा करें।
मार्च १४: डर्बनमें आयोजित नेटाल भारतीय कांग्रेसकी सभाने ट्रान्सवालके सत्याग्रहियोंका समर्थन किया और ट्रान्सवाल तथा डेलागोआ-बेके अधिकारियोंके बीच हुई निर्वासन-सम्बन्धी व्यवस्थाकी निन्दा की।
जोहानिसबर्ग में आयोजित ब्रिटिश भारतीय संघकी सभामें निश्चय किया गया कि जबतक सरकार भारतीयोंकी माँगोंको स्वीकार नहीं करती, तबतक पूरी शक्तिके साथ सत्याग्रह जारी रखा जायेगा।
मार्च १५: दक्षिण आफ्रिका अधिनियम (साउथ आफ्रिका ऐक्ट) का मसविदा दक्षिण आफ्रिकी संसदके सामने पेश किया गया; इस सम्बन्धमें कॉमन्स सभामें प्रश्न उठाया गया। हाई कमिश्नरने निर्वासनके प्रश्नको लेकर मिलनेवाले ब्रिटिश भारतीय संघके शिष्टमण्डलको मुलाकात देनेसे इनकार कर दिया।
मार्च १६: डेलागोआ-बेमें भारतीयोंकी सभा; ट्रान्सवालकी स्थिति और निर्वासनके प्रबन्धके बारेमें अब्दुल्ला हाजी आदम और पोलक बोले; पुर्तगाली गवर्नर-जनरलके पास शिष्टमण्डल भेजनेका निश्चय किया गया।
मार्च १७: किम्बर्लेके भारतीयोंकी सभामें ट्रान्सवालमें भारतीयोंके साथ होनेवाले अन्यायपूर्ण व्यवहारके प्रति विरोध प्रकट किया।
ट्रान्सवालके गवर्नरने उपनिवेश-कार्यालयको तार दिया कि ऐसा कोई भी भारतीय देशसे निर्वासित नहीं किया गया जिसने अपना पंजीयन प्रमाणपत्र दे दिया हो। केवल वे ही एशियाई देशके बाहर निकाले गये हैं जिन्हें अधिवासका अधिकार नहीं था और जिन्हें मजिस्ट्रेटने निर्वासनका हुक्म दिया था।
ब्रिटिश भारतीय संघकी पोर्ट एलिजाबेथ शाखाने तार देकर वाइसरायसे आग्रह किया कि वे ट्रान्सवालके भारतीयोंके पक्षमें हस्तक्षेप करें।
मार्च १९: ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालयने फैसला दिया कि खनिज क्षेत्रोंमें व्यापारिक परवाने प्राप्त करनेके सम्बन्ध में भारतीयोंपर कोई बन्दिश नहीं है।
मार्च २२: नेटाल नगर पालिका संघने नगरपालिका कानून एकीकरण विधेयक (म्यूनिसिपल लॉ कंसॉलिडेशन बिल) में विवेक-सम्बन्धी धाराओंको अस्वीकृत करनेके लिए साम्राज्य सरकारकी आलोचना की।