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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
जून १८: उपनिवेश सचिवने ब्रि॰ भा॰ सघ की यह प्रार्थना अस्वीकार कर दी कि मनोनीत प्रतिनिधियोंकी सजा मुल्तवी कर दी जाये। ये लोग शिष्टमण्डलके सदस्य होकर स्वदेश जानेवाले थे, इसकी जानकारीसे उन्होंने इनकार किया।
गांधीजीने 'स्टार' में एक पत्र लिखकर उपनिवेश सचिवके इस दावेका खण्डन किया। बहरामपुरमें आयोजित मद्रास प्रान्तीय सम्मेलन में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें दक्षिण आफ्रिकामें ब्रिटिश भारतीयोंके साथ होनेवाले अन्यायपूर्ण व्यवहारको निन्दा की गई।
जून १९: गांधीजीने 'इंडियन ओपिनियन' में लेख लिखकर शिष्टमण्डल बाहर भेजना उचित बताया। यह सुझाव भी दिया कि आन्दोलनके बारेमें सही जानकारी देकर संघर्षको शीघ्र समाप्त करनेके उद्देश्यसे जानेवाले शिष्टमण्डलोंको समर्थन प्रदान करनेके लिए दक्षिण आफ्रिका-भरमें सभाएँ की जायें।
ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय समझौता समितिके प्रतिनिधिमण्डलने स्मट्ससे भेंट की।
जून २१ के पहले: ट्रान्सवालके भारतीयों के नाम एक अपीलमें गांधीजीने जेल-यात्राको "रामबाण" बताया।
हबीब मोटनको पत्र लिखते हुए गांधीजीने वाइसरॉयकी परिषदमें मुसलमानकी नियुक्तिको उचित बताया और हिन्दू तथा मुसलमानोंके बीच सगे भाइयों-जैसा सम्बन्ध होनेकी आवश्यकतापर जोर दिया।
जून २१: इंग्लैंड जानेके लिए गांधीजी और हाजी हबीब केप टाउनको रवाना। सत्याग्रही सामी नागप्पनको १० दिनकी सख्त कैदकी सजा दी गई।
जून २३: गांधीजीने 'केप टाइम्स' और 'केप आर्गस' के प्रतिनिधियोंको भेंट देते हुए इस बातकी आशंका प्रकट की कि यदि साम्राज्यीय सरकारने कुछ संरक्षण सुलभ न करवाये तो दक्षिण आफ्रिका संघ बननेपर एशियाई तबाह हो जायेंगे।
इंग्लैंडके लिए जहाजपर सवार हुए।
स्मट्सने ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय समझौता समितिके प्रार्थनापत्रको अस्वीकृत कर दिया।
कुवाड़िया और सोराबजीको तीन-तीन महीनेकी सजा।
जून २५ : ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय समझौता समितिने स्मट्सको एक पत्र लिखकर इस पर खेद प्रकट किया कि उन्होंने प्रतिनिधिमण्डलको जो आश्वासन दिया था वे उससे मुकर गये हैं।
भारत जानेके लिए पोलक नेटाल रवाना।
जून २६ : 'इंडियन ओपिनियन' में खबर छपी कि ब्रि॰ भा॰ सं॰ की समितिने अपनी बैठकमें कैलेनबैकको संघका अवैतनिक मन्त्री नियुक्त किया है।
पोर्ट एलिजाबेथके ब्रि॰ भा॰ संघने भारत सरकारको इस आशयका प्रार्थनापत्र लिखा कि उन कानूनोंको रद कर दिया जाना चाहिए जो सम्पूर्ण भारतके लिए अपमानजनक, साम्राज्यमें निरन्तर कटुताके कारण और दक्षिण आफ्रिकाके अन्य भागोंमें रहनेवाले भारतीयोंके लिए खतरनाक हैं।
जून ३०: नागप्पनको "मरणासन्न अवस्था" में जोहानिसबर्ग जेलसे रिहा कर दिया गया।
जुलाई २: लन्दनमें मदनलाल धींगरा नामक युवकने सर कर्जन वाइलीकी हत्या कर दी। डॉ॰ लालकाका भी मारे गये।