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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
रंगदार लोगों और वर्तनियोंके शिष्टमण्डलने श्राइनरके नेतृत्वमें कॉमन्स सभाके उदारदलीय और मजदूरदलीय सदस्योंसे भेंट की और संघ विधेयकमें संशोधन पेश करनेका अनुरोध किया।
जुलाई ३१: नेटालका शिष्टमण्डल लन्दन पहुँचा। गांधीजी और दूसरे लोगोंने अगवानी की। पोलक बम्बई पहुँचे।
अगस्त २: प्रिटोरियाकी महिलाओंने भारतीय महिला संघकी स्थापना की।
अगस्त ३: 'इंग्लिशमैन' को पत्र लिखकर गांधीजीने पंजीयन अधिनियम, गिरमिट प्रथा आदिके बारेमें छपी भ्रामक बातोंका जवाब दिया, और कहा कि ब्रिटिश भारतीय १५ वर्षोंसे गिरमिट प्रथा बन्द करानेके लिए आन्दोलन कर रहे हैं।
अगस्त ४: लॉर्ड ऍम्टहिलको एक पत्र लिखकर इस आरोपका पूरी तरह खण्डन किया कि ट्रान्सवालके सत्याग्रह आन्दोलनको भारतसे सहायता या उत्तेजन मिलता है, और कहा कि सत्याग्रह आन्दोलनका भारतकी हिंसावादी पार्टीसे कोई सम्बन्ध नहीं है।
मेजर डिक्सनने नागप्पनकी मृत्युकी जाँचकी रिपोर्ट प्रकाशित की।
यूरोपीय समितिके अध्यक्ष विलियम हॉस्केनने जेलोंकी खुर/कमें सुधारकी माँगका समर्थन करते हुए जेल-निदेशकसे पत्र-व्यवहार शुरू किया।
अगस्त ६: लॉर्ड ऍम्टहिल द्वारा सुझाये गये परिवर्तनों आदिको शामिल करनेके बाद गांधीजीने अपने "वक्तव्य" की प्रतियाँ उन्हें भेजीं।
अगस्त ९: गांधीजी और लॉड ऍम्टहिलने स्मट्सके सुझावोंपर विचार-विमर्श किया। गांधीजीने स्मट्सको प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिनियमके सम्बन्धमें संशोधन भेजा, जिसके अनुसार गवर्नरको यह अधिकार दिया जाता कि वह किसी भी जातिके प्रवासियोंकी संख्या सीमित कर सकता है।
डोक-लिखित (स्वयं गांधीजीकी) जीवनीके प्रूफ लॉर्ड ऍम्टहिलको भेजे।
नेटालके भारतीय शिष्टमण्डलने लॉर्ड क्रू के पास प्रार्थनापत्र भेजा।
हरिलाल गांधी तथा अन्य लोग हाइडेलबर्गमें रिहा किये गये, और सोराबजी शापुरजी डीपक्लूफ जेलसे छोड़े गये।
अगस्त १०: गांधीजी और हाजी हबीबने लॉर्ड क्रू से भेंट की। गांधीजीने प्रवासी अधिनियममें अपने सुझाये संशोधनके बारेमें ब्रि॰ भा॰ संघ और पोलकको तार दिया।
श्राइनरके नेतृत्वमें रंगदार लोगों और वर्तनियोंके शिष्टमण्डलने कॉमन्स सभाके मजदूर-दलके सदस्योंकी बैठकमें भाग लिया। दलने संघ विधेयकमें संशोधनका समर्थन करनेका आश्वासन दिया।
लॉर्ड ऍम्टहिलने स्मट्स और गांधीजीसे बातचीत की।
बादमें स्मट्सको प्रवासी अधिनियममें संशोधनका मसविंदा भेजते हुए अधिनियमको रद करने और प्रतिवर्ष छः शिक्षित भारतीयोंको प्रवेशकी अनुमति देनेका अनुरोध किया।
अगस्त ११: गांधीजीने लॉर्ड क्रू से अनुरोध किया कि वे हस्तक्षेप करके १०० ब्रिटिश भारतीयोंका आसन्न निर्वासन रोकें।
लॉर्ड ऍम्टहिलको पत्र लिखा कि प्रवासी अधिनियममें प्रस्तावित संशोधनसे "किसी महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तका हनन " नहीं होता।