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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
लॉर्ड ऍम्टहिलने लॉर्ड क्रू को यह अनुरोध करते हुए पत्र लिखा कि वे गांधीजी द्वारा जनरल स्मट्सको सुझाये गये फार्मूलेके आधारपर समझौता करानेमें मदद करें।
पारसी रुस्तमजीको ६ महीनेकी कैदकी और सजा दी गई।
जोहानिसबर्ग में भारतीयोंकी आम सभामें सोराबजी शापुरजी, हरिलाल गांधी और अन्य लोगोंका स्वागत किया गया। शिष्टमण्डल भेजनेके विचारका समर्थन किया गया; साम्राज्यीय सरकारसे हस्तक्षेप करनेका अनुरोध किया गया और नागप्पनकी मृत्युके बारेमें जाँच आयोगके निष्कर्षोंपर असन्तोष व्यक्त किया गया।
अगस्त १२: लॉर्ड क्रूने नेटालके भारतीय शिष्टमण्डलको सूचित किया कि वर्तमान कानूनोंको रद नहीं किया जा सकता, और संघकी स्थापनाके बाद हालतमें सुधार होगा।
अगस्त १३: नेटालके शिष्टमण्डलने भारतके वाइसरॉयको अपनी शिकायतोंका विवरण प्रेषित करते हुए उन्हें एक पत्र लिखा।
अगस्त १६ : गांधीजीने जेलमें मुहम्मद खाँके साथ किये गये दुर्व्यवहारके सम्बन्ध में उसका शिकायतपत्र लॉर्ड क्रू को प्रेषित करते हुए उन्हें चिट्ठी लिखी।
लॉर्ड ऍम्टहिलको पत्र लिखा कि नागप्पनकी मृत्युके सिलसिलेमें लगाये गये आरोप जाँचसे काफी हदतक सिद्ध हो गये हैं।
अगस्त १७: मदनलाल धींगराको फाँसी दे दी गई।
अगस्त १८: डर्बनमें हुई नेटाल भारतीय कांग्रेसकी सभामें इंग्लैंड जानेवाले शिष्टमण्डलका समर्थन किया गया और ट्रान्सवालके भारतीयोंके प्रति होनेवाले दुर्व्यवहारकी आलोचना की गई।
अगस्त १९: गांधीजीने फीनिक्सके पुस्तकालयके लिए पुस्तकें खरीदीं।
अगस्त २०: 'इंडियन ओपिनियन' को भेजे गये अपने साप्ताहिक संवादपत्रमें इस बातपर जोर दिया कि सत्याग्रह ही नेटालके भारतीयोंकी मुक्तिका एकमात्र मार्ग है।
अगस्त २१: गांधीजी श्राइनरसे मिले।
विटवॉटर्सरैंड चर्च कौंसिलने एक प्रस्ताव पास करके वर्तनियोंके लिए प्रतिनिधित्वकी माँग की।
अगस्त २२: गांधीजी व्हाइटवेका ग्रामीण क्षेत्र देखने गये।
अगस्त २५ : पोलकको सत्याग्रह आन्दोलनके सहायतार्थ पैसा-चन्दा शुरू करनेका सुझाव देते हुए पत्र लिखा।
अगस्त २९ : रायटरके प्रतिनिधिको भेंट देते हुए स्मट्सने कहा: "अपने कुछ अतिवादी प्रतिनिधियों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलनसे ट्रान्सवालके अधिकांश भारतीयोंका जी पक चुका है...।"
अगस्त ३०: गांधीजीने स्वामी शंकरानन्द द्वारा की गई इस्लामकी आलोचनाकी निन्दा करते हुए उन्हें पत्र लिखा।
स्मट्सने लॉर्ड ऍम्टहिलको उन सुझावोंके बारेमें लिखा जो उन्होंने (ऍम्टहिलने) १९०७ के अधिनियम २ को रद करने और एक सीमित संख्यामें शिक्षित भारतीय प्रवासियोंको स्थायी निवासके प्रमाणपत्र देनेके बारेमें लॉर्ड क्रू को भेजे थे।
लॉर्ड ऍम्टहिलने लॉर्ड से संसदमें ट्रान्सवालकी समस्याके बारे में वक्तव्य देनेका अनुरोध किया; बादमें उनसे मिले भी और "अधिकार" के प्रश्नपर विचार किया।