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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
सितम्बर १: गांधीजीने लॉर्ड ऍम्टहिलको सूचित किया कि स्मट्सके सुझावोंसे तो जातीय अपमान और भी गम्भीर हो जाता है; उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि "अधिकार" के प्रश्नपर वे अपने मौजूदा रवैयेमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते।
सितम्बर २: गांधीजीने पोलकको स्मट्सके सुझावके बारेमें तार भेजा, और सलाह दी कि बम्बईमें शेरिफके सहयोगके बिना, स्वतन्त्र रूपसे, आम सभा आयोजित की जाये। स्मट्सने रायटरको मुलाकात देते हुए समझौतेका जो उल्लेख किया था, गांधीजीने लॉर्ड क्रू से उसके बारेमें सही जानकारी देनेका अनुरोध किया।
गांधीजीने लॉर्ड ऍम्टहिलको एक पत्र लिखा जिसमें भारतीयों और चीनियोंकी गिरफ्तारी फिरसे शुरू करके ट्रान्सवाल सरकारने जो जेहाद बोला था, उसका स्वागत किया।
सितम्बर ६: उपनिवेश कार्यालयको पत्र लिखकर इस बातपर जोर दिया कि मैंने "समझौता वार्तापर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े, इस खयालसे सार्वजनिक गतिविधियोंसे अपनेको बिल्कुल अलग कर रखा है।"
अमीर अलीको पत्र लिखा कि मेरे जीवनका उद्देश्य यह सिद्ध करना है कि हिन्दू-मुस्लिम सहयोग भारतकी मुक्तिकी अनिवार्य शर्त है।
सितम्बर ७: खुशालचन्द गांधीको लिखा कि फीनिक्समें होनेवाले सभी काम धार्मिक हैं।
सितम्बर ९: ब्रि॰ भा॰ संघने जोहानिसबर्गके जेल-निदेशकसे अनुरोध किया कि रमजानके महीनेमें मुसलमान कैदियोंको विशेष सुविधाएँ दी जायें।
सितम्बर १०: गांधीजीने उपनिवेश कार्यालयको पत्र लिखकर स्मट्स द्वारा रायटरको दिये गये इस वक्तव्यका खण्डन किया कि अधिकांश भारतीयोंने पंजीयन अधिनियम स्वीकार कर लिया है; और इस बातका दावा किया कि अधिनियमके खिलाफ भारतीयोंका विरोध अब भी पहले जैसा ही प्रबल है।
इंग्लैंडमें मताधिकारकी माँग करनेवाली महिलाओंकी हिंसात्मक कार्रवाइयोंकी निन्दा करते हुए कहा कि भारतीयोंको "सत्याग्रहकी तलवार कभी नहीं छोड़नी चाहिए।" ब्रि॰ भा॰ संघने 'स्टार' में एक पत्र लिखकर सुपरिन्टेन्डेन्ट वरनॉन द्वारा अदालतमें दिये गये इस वक्तव्यके प्रति विरोध प्रकट किया कि एशियाइयोंको देशसे निकाल बाहर करना चाहिए।
'टाइम्स' में प्रकाशित नेटाल शिष्टमण्डलके पत्रमें नेटालके भारतीयोंकी तिहरी निर्योग्यताओंकी ओर ध्यान आकर्षित किया गया और साम्राज्यीय सरकारसे अनुरोध किया गया कि यदि ये शिकायतें दूर नहीं की जातीं तो भारतसे गिरमिटिया मजदूरोंको लाना बन्द कर दिया जाये।
सितम्बर ११: 'टाइम्स ऑफ नेटाल' में समाचार प्रकाशित हुआ कि नेटाल विधान सभाने भारतीयोंकी उच्चशिक्षाके अनुदानोंमें कटौती कर दी है।
सितम्बर १३: गांधीजी लन्दनमें आयोजित पटेटी-उत्सवमें सम्मिलित हुए; प्रमुख पारसी सत्याग्रहियोंका अभिनन्दन किया।
सितम्बर १४: बम्बईमें आयोजित सार्वजनिक सभामें शाही सरकारसे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके प्रति किये जानेवाले अन्यायको रोकनेकी अपील और नेटालमें गिरमिटिया प्रथाके बन्द किये जानेकी माँग।