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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
सितम्बर १५: काछलिया, चेट्टियार और थम्बी नायडूके जेलसे छूटनेपर जोहानिसबर्ग में उनके अभिनन्दनके लिए सार्वजनिक सभा आयोजित; डोक, हॉवर्ड और अन्य यूरोपीयोंके भाषण। ८० चीनी सत्याग्रही गिरफ्तार।
सितम्बर १६: गांधीजी और हाजी हबीब लॉर्ड क्रू से मिले और कहा कि यदि प्रवेशका सैद्धान्तिक अधिकार स्वीकार कर लिया जाये तो वे भविष्यमें आन्दोलन न चलानेका वचन देनेको तैयार हैं।
६७ चीनियोंपर जोहानिसबर्ग में पंजीयन प्रमाणपत्र पेश न करनेका आरोप लगाया गया। जेल-निदेशकने रमजानमें मुसलमान कैदियोंको कुछ विशेष सुविधाएँ देनेके बारेमें ब्रि॰ भा॰ संघकी प्रार्थनाको अस्वीकार कर दिया।
सूरत सार्वजनिक सभामें पोलकका भाषण।
सितम्बर १७: गांधीजीने शरीरको आत्मासे अधिक महत्त्व न देनेकी सीख देते हुए मणिलाल गांधीको पत्र लिखा, जिसमें यह विचार भी व्यक्त किया कि कस्तूरबाके इनकार करनेपर वे उन्हें कदापि गोमांसका सूप नहीं देते, भले ही इसके बिना उनकी मृत्यु हो जाती।
सितम्बर १८: से पहले : नेटालके शिष्टमण्डलने अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके अली इमामसे भेंट की।
सितम्बर १८: लॉर्ड मॉर्लेसे निवेदन किया कि मुसलमान कैदियोंको रमजानमें सुविधाएँ न देना धर्मपर आघात होगा।
लॉर्ड ऍम्टहिलको पत्र लिखा, जिसमें स्मट्ससे प्रतिकूल उत्तर न मिले इस दृष्टिसे सर जॉर्ज फेरारकी सहानुभूति प्राप्त करनेका अनुरोध किया, और स्मट्ससे प्रतिकूल उत्तर मिलनेकी दशामें शिष्टमण्डलके द्वारा सार्वजनिक कार्रवाईको आवश्यक बताया।
सितम्बर २२: जोहानिसबर्गमें चीनी सत्याग्रहियोंने अपनी बैठकमें सत्याग्रह संग्रामको समर्थन देते रहनेका प्रण किया और विदेश भेजे गये शिष्टमण्डलके प्रयत्नोंके प्रति हमदर्दी जाहिर की। ई॰ एस॰ कुवाड़िया और उमरजी साले डीपक्लूफ जेलसे छूटे।
सितम्बर २३: गांधीजीने उपनिवेश कार्यालयसे पूछा कि उनके संशोधनके सम्बन्धमें लॉर्ड क्रू जो तार भेजनेवाले थे उसका स्मट्सकी ओरसे कोई जवाब आया है या नहीं। पोलकको भारतमें सत्याग्रह-संघर्षपर एक निबन्ध प्रतियोगिताका आयोजन करनेका सुझाव दिया।
सितम्बर २४: दोपहरका भोजन रेवरेंड एफ॰ वी॰ मायरके साथ किया।
सितम्बर २७: पूनाकी सार्वजनिक सभामें पोलक और गोखलेने भाषण दिये।
सितम्बर २८: गांधीजीने 'ऍडवोकेट ऑफ इंडिया' द्वारा पोलकपर लगाये गये आरोपोंका खण्डन करते हुए उक्त समाचार पत्रको एक चिट्ठी लिखी।
सितम्बर २९: स्मट्सने अपने एक कार्य विवरणमें इस बातसे इनकार किया कि ऑरेंज रिवर कालोनीमें अधिकृत रूपसे बसे किसी भी एशियाईको ट्रान्सवालसे निर्वासित कर भारत भेजा गया है।
पोलकने पूनामें महिलाओंकी सभामें भाषण दिया; सभाकी अध्यक्षता रमाबाई रानडेने की।
सितम्बर ३०: ट्रान्सवाल सरकारने एक कार्य-विवरणमें भारतीय कैदियोंके साथ दुर्व्यवहारकी शिकायतका खण्डन करते हुए अपनेको नागप्पनकी मृत्युके लिए जिम्मेदार माननेसे इनकार किया।