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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिया जाये जहाँ उन्होंने सम्राट् और ब्रिटिश साम्राज्यको सेवा करते हुए गोलियोंकी बौछार झेली है ।

३. जैसा कि हालकी घटनाओंने साबित कर दिया है, जवाब में जिस निराकरणका उल्लेख किया गया है, वह असफल रहा है; और अब सम्पूर्ण भारतीय समाज कानूनको रद करने के लिए महामहिम सम्राट्की सरकारके पास प्रतिवेदन भेज रहा है, क्योंकि ऐसा सभी भारतीयोंको बताया गया था कि समझौते में उसे रद करने की बात शामिल है ।

४. चूँकि पूरे भारतीय समाजको, जिसका आपके प्रार्थी प्रतिनिधित्व करते हैं, समझौते- पर अविश्वास था, और कानून रद होने की अनिश्चितता के कारण वह अत्यधिक उद्विग्न था, और चूंकि भारतीय समाजके नेताओंने अँगुलियोंके निशान देकर पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करानेका सिद्धान्त स्वीकार कर लिया था, इसीलिए उस वर्ग के कुछ लोगोंने, जिसका प्रतिनिधित्व आपके प्रार्थी करते हैं, शारीरिक हिंसाका सहारा लेकर उस कार्यके प्रति अपना रोष दिखाया था । हालां कि रोष -प्रदर्शनके इस तरीकेका आपके प्रार्थी समर्थन नहीं कर सकते, किन्तु जाहिर है कि उन लोगोंका सन्देह बहुत उचित था ।

५. आपके प्रार्थियोंकी स्थिति संक्षेपमें इस प्रकार है :

(क) आपके प्राथियोंकी रायमें १९०७ के एशियाई कानून संशोधन अधिनियम २ ( एशियाटिक लॉ अमेंडमेंट ऐक्ट नं. २) की सम्पूर्ण भावना उसके अन्तर्गत आनेवाले किसी भी व्यक्तिके लिए अपमानजनक है, विशेष रूपसे उन सैनिकों के लिए, जिन्हें महामहिम सम्राट्की वर्दी पहनने का गौरव प्राप्त है, और जिन्होंने अपने सम्राट्के लिए रक्त बहाया है ।

(ख) आपके प्रार्थी इस गम्भीर शपथसे बँधे हुए हैं कि
(१) वे उपर्युक्त कानून स्वीकार नहीं करेंगे, और उसे रद करवायेंगे;
(२) भारतीय समाजके अन्य सदस्य क्या करना पसन्द करेंगे, इसका खयाल किये बगैर अपनी शिनाख्तके लिए अँगुलियोंके निशान कभी नहीं देंगे ।

६. आपके प्रार्थियोंने, तत्कालीन पुलिस कमिश्नर तथा अन्य उच्चाधिकारियोंकी सलाहको मानकर और यह कहे जानेपर कि कानून रद कर दिया जाने वाला है, केवल शान्तिकी खातिर स्वेच्छया पंजीयन करा लिया । इससे आगे जाने में आपके प्रार्थी असमर्थ हैं । उनकी राय में कोई अपुरुषोचित रुख अपनाना, और केवल इसलिए कि वे उपनिवेशमें रह सकें, अपमान सहन करना सैनिक-धर्मके सर्वथा विरुद्ध आचरण होगा ।

७. आपके प्रार्थी यह निवेदन करने का साहस करते हैं कि उनकी वर्दी और उनके सेवा-प्रमाणपत्र ब्रिटिश साम्राज्यके किसी भी भाग में आ-जा सकनेके लिए पर्याप्त पारपत्र समझे जाने चाहिए, और उन्हींसे उनकी पूरी शिनाख्त होनी चाहिए ।

८. आपके प्रार्थी कानूनी बारीकियों और कानूनी तर्कोंको नहीं समझते । उन्होंने एशियाई कानूनका अध्ययन नहीं किया है । वे सम्राट् के नामपर युद्ध करनेकी बातको छोड़कर अन्य बातों में लाचार हैं । वे अंग्रेजी नहीं समझते, लेकिन एशियाई कानूनके बारेमें जो कुछ थोड़ा- बहुत उन्होंने समझा है, उस कानूनकी भर्त्सनाके लिए उतना ही काफी है ।