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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसके बाद श्री वली मुहम्मद बगसका, जो ब्रिटिश भारतीय संघ ( ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन ) की प्रिटोरिया शाखाके अध्यक्ष हैं, मामला पेश हुआ । श्री बगसने अपनेको "निर्दोष" बताया । परवाना अधिकारी श्री टॉमसकी गवाहीके बाद श्री बगसने इस आशयका बयान दिया कि उनके पास पूरे वर्षका सामान्य विक्रेता-परवाना' था, और उन्होंने विक्रेता-परवानेका शुल्क भी दे दिया था, किन्तु वह इस कारण अस्वीकृत कर दिया गया कि उन्होंने अँगूठेका निशान देनेसे इनकार कर दिया । न्यायाधीशने उन्हें भी वही सजा दी । श्री बगसके विरुद्ध दो दुकानोंके सिलसिले में दो अभियोग थे । प्रत्येक मामले में सजा एक ही थी । वे भी खुशी-खुशी जेल चले गये ।

सर्वश्री इस्माइल आडिया और एल० वल्लभदासपर भी इसी तरह मुकदमे चलाये गये, उनको भी सजा दी गई, और वे भी जेल चले गये ।

एक चीनी व्यापारीकी पुकार हुई, किन्तु वह हाजिर नहीं हुआ, और चूँकि वह जमानत-पर था, इसलिए उसकी जमानतमें से एक पौंडकी रकम जब्त कर ली गई ।

[ अंग्रेजी से ]
इंडियन ओपिनियन, १९-९-१९०८

१९. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

ईसप मियाँ

श्री ईसप मियाँने इस्तीफा दे दिया और सार्वजनिक सभामें उनकी सेवाओंका आभार माना गया । श्री ईसप मियाँकी सेवाओंकी कद्र जैसे-जैसे समय गुजरेगा, अधिक होगी । उन्होंने कठिन प्रसंगपर भारतीय समाजके जहाजका नेतृत्व हाथ में लिया था । उन्होंने अध्यक्षका पद जेल जानेके प्रस्तावको अंजाम देने के इरादेसे स्वीकार किया था । यह ऐसा समय था जब कोई यह नहीं कह सकता था कि भारतीय समाज क्या करेगा । इसका बहुत-कुछ दारोम-दार अध्यक्ष के साहसपर ही था । उन्होंने वैसा साहस दिखाया और [संघका ] कारोबार चलाया । पिछले वर्ष श्री ईस मियाँने अपने व्यापारका विस्तार कम कर दिया और वे सरकारके विरोधके लिए कटिबद्ध हो गये । इस वर्ष उनपर हमला हुआ; " वे जेल जानेके लिए तत्पर रहे; और उन्होंने सोने या फूलके हारकी तरह दो टोकरियाँ गलेमें लटकाकर फेरीका धन्धा शुरू कर दिया । ऐसा करनेसे समाजकी शक्ति कितनी बढ़ी, इसका अनुमान लगाना कठिन है । अपने इस साहससे श्री ईसप मियाँने समाजको वहाँ पहुँचा दिया जहाँ पहुँचनेपर

१. जनरल डीलर्स लाइसेन्स |

२. यह खरीता गांधीजीने १४ सितम्बरको लिखना आरम्भ किया और १६ सितम्बरको पूरा किया ।

३. देखिए “ प्रस्ताव : सार्वजनिक सभामें ", ५४ ३२ ।

४. सितम्बर, १९०६ के प्रस्तावको; देखिए खण्ड ५, पृ४ ४३४ ।

५. १७ मईको; देखिए खण्ड ८, १४ २४३, २४९, २६१ और ३०५ ।