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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

समाजकी प्रतिज्ञा सुरक्षित रह सकती है । अब जो बच रहा है वह बड़ा महत्त्वपूर्ण है, उसे किये बिना समाजका काम चल नहीं सकता और उसके लिए जबरदस्त संघर्ष करना आवश्यक है ।

किन्तु ऐसे अवसरपर जहाजका नेतृत्व छोड़नेके लिए श्री ईसप मियाँको कोई दोष नहीं दे सकता । मसजिद, मदरसा तथा सरकारके विरुद्ध संघर्ष, इन तीन बड़े कामोंके लिए उन्होंने तीन बार हजकी यात्रा छोड़ी । अब उन्हें जानेका हक है । जो-कुछ श्री ईसप मियाँने किया है, वैसा ही यदि अन्य भारतीय अध्यक्ष भी कर दिखायें, तो समाजकी जीत निश्चित है ।

अहमद मुहम्मद काछलिया

सभी ऐसी आशा लगाये हुए हैं कि समाजको जैसे श्री ईसप मियाँ मिले थे वैसे ही श्री काछलिया मिले हैं । श्री काछलियाका इरादा अध्यक्ष- पद स्वीकार करनेका था नहीं । कहा जा सकता है कि उनको यह पद जबरदस्ती दिया गया है । मैंने तो देखा कि सबका यही विचार था कि श्री काछलिया ही श्री ईसप मियाँकी जगह लें ।

श्री काछलिया जेल हो आये हैं। जुलाई ३१, १९०७ को कहे गये उनके शब्दोंकी झंकार अब भी मेरे कानोंमें गूंजती रहती है । उन्होंने कहा था, "मैं जेल जाऊँगा; मेरा सिर भले उतार लिया जाये, लेकिन मैं खूनी कानूनको स्वीकार नहीं करूँगा ।" उन्होंने अपने शब्दोंका पालन किया है । वे जेल तो हो ही आये हैं; काम करनेके लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं । लोकप्रिय भी वे बहुत हैं । उन्होंने पैसेकी हानि सहनेमें कोई कमी नहीं की । इस प्रकार श्री काछलियाने अनेक शुभ शकुनोंमें अध्यक्ष-पद पाया है ।

किन्तु भारतीय जलयान अब भी भीषण तूफानमें ही है । [तूफानसे] बीच समुद्र में जितना खतरा होता है, किनारेपर पहुँचते समय उससे हमेशा ज्यादा होता । अर्थात्, रास्ता यद्यपि थोड़ा ही काटना है, फिर भी काम बहुत बाकी है । सम्भव है, हमारे खलासी थक गये हों । जब कोलम्बसके अमरीका जा पहुँचनेका वक्त आया, तभी उसके खलासियोंने विद्रोह कर दिया । किन्तु उसकी हिम्मतके आगे वे पुनः शान्त पड़ गये और अमरीका महाद्वीप उसके हाथ लगा । ऐसा ही हाल भारतीय जलयानका है । किनारा पास आ गया है, किन्तु चट्टानें बढ़ रही हैं । उनके बीच में से जलपानको ले जाना किसी शक्तिशाली कप्तानका काम है । मैं आशा करता हूँ कि श्री काछलिया वैसी शक्ति दिखायेंगे ।

अध्यक्षका अर्थ होता है समाजका सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति | उसके गुणोंसे ही समाजके गुणोंका अन्दाजा लगाया जायेगा । फिर, यदि वह प्रमुख सत्याग्रहकी लड़ाईमें भाग ले रहा हो, तब तो उसमें मरणपर्यन्त सत्य, मरणपर्यन्त ईश्वरपर विश्वास, मरणपर्यन्त साहस, समाजके लिए पैसा, माल-मिल्कियत और जान हाजिर करने और दे देनेकी तत्परता, अत्यन्त प्रामाणिकता, अत्यन्त निर्भयता, अत्यन्त निर्मलता और अत्यन्त विनय तथा नम्रता आदि गुण होने चाहिए । भारतीय समाजके अध्यक्षमें इतने गुण हों, तभी सत्याग्रहका रूप खिलेगा और सत्याग्रहकी ऐसी जय होगी कि सारी दुनिया देखेगी ।

मैं तो खुदा --ईश्वर -- से माँगता हूँ कि वह श्री काछलियाको ये समस्त गुण दे मैं सारे भारतीय समाजको ऐसी ही प्रार्थना करने की सलाह देता हूँ ।