पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 9.pdf/७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
मूलजीभाई पटेल

श्री पटेल शुक्रवारको छूटनेवाले थे, इसलिए बहुत-से व्यक्ति उन्हें लेने के लिए जेल तक गये । किन्तु तभी मालूम हुआ कि श्री पटेलको देशसे बाहर निकाला जायेगा । उन्हें जेपी स्टेशन से ले जाया गया और वे शनिवारको चार्ल्सटाउन पहुँचे । कुछ भारतीय उनसे मिलने के लिए जस्टिन गये थे । श्री पटेलकी तबीयत अच्छी है और उनका साहस बरकरार है । वे थोड़ी ही अवधि में वापस प्रवेश करेंगे तथा और जो कष्ट भोगना पड़ेगा उसे भोगेंगे । उनके साथ पुलिसका बरताव ठीक रहा ।

सोराबजी शापुरजी

श्री सोराबजी शापुरजी यहाँसे बहुत साहसके साथ आज सवेरेकी गाड़ीसे जेल भोगनेके लिए फोक्रस्ट गये हैं । उन्होंने सार्वजनिक सभामें ही बता दिया था कि चाहे जितनी सजा क्यों न हो, वे भोगनेके लिए तैयार हैं । उन्हें दुःख इतना ही रहा कि संघने उन्हें उनका हक होनेपर भी नेटालके सेठोंसे पहले जेल नहीं जाने दिया। श्री काछलिया, श्री अस्वात, श्री व्यास, श्री पोलक, श्री जीवनजी, श्री नायडू, श्री गांधी आदि उनकी बिदाईके समय उपस्थित थे ।

श्री इब्राहीम उस्मान शुक्रवारको यहाँ आ गये । श्री काछलिया इत्यादि उन्हें लेने गये थे । वे श्री काछलिया के मेहमान हैं ।

नेटाल के कैदी

श्री दाउद मुहम्मद तथा जो अन्य नेतागण जेलमें हैं, वे हद कर रहे हैं । सरकार उनकी पूरी कसौटी करना चाहती है, उनसे सख्त मेहनत लेती है, उन्हें रास्तोंपर पत्थर तोड़ने के लिए बाहर निकालती है । वे इस कामको भी उत्साहसे करते हैं । उनका यह सन्देश है कि जबतक निर्णय नहीं होता, तबतक वे जेलमें रहकर सारे कष्ट उठायेंगे । उन्हें सख्त मेहनतका काम दिया जाता है, किन्तु उससे मैं दुःखी नहीं हूँ । यह सब हम भोगेंगे तभी हममें वास्तविक योग्यता आयेगी । सिपाहीका काम सारे कष्ट उठाना है । सत्याग्रहके सिपाहीके लिए तो यही पाठ है, यही जप है। सच्ची लगन हो तो पत्थर तोड़ना भी सुखकर बन जाता है ।

रुस्तमजीका पत्र

श्री रुस्तमजीने सजा मिलने के बाद निम्नलिखित पत्र भेजा है :

आज हम चार आदमियोंको तीन-तीन महीने की सजा हुई है । इससे हम बहुत खुश हैं । सबको हिम्मत बँधाइये । कोई किसी भी तरह न घबराये । यदि लोग हमारे कर्तव्य पालनकी कद्र करना चाहते हों तो सार्वजनिक सभामें कहिए कि सभी भाई काफी पैसा इकट्ठा करें ।

सेठ जल्दी कैसे छूटें ?

प्रत्येक भारतीयके मन में यह प्रश्न बसा हुआ है । जवाब सहज है :

(१) [परवाना (लाइसेंस) हो तब भी ] कोई परवानेसे व्यापार न करे ।

(२) परवाना न लिया जाये ।

(३) अवसर मिलते ही तुरन्त जेल-यात्रा की जाये ।