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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गये, तब कुछ भारतीयोंसे एक दिनके लिए भी व्यापार बन्द करते नहीं बना । कहा जा सकता है कि अभी हम लोगोंको बहुत कुछ सीखना है ।

क्रूर्गर्सडाॅर्प में दो मद्रासी श्री संगरन और आइकट धोबी बिना परवाना काम करने के अपराध में पकड़े गये थे । उनपर मुकदमा चला । न्यायाधीशने उन्हें एक पौंड जुर्माना अथवा तीन दिनकी जेलकी सजा दी । उन्होंने जेल जाना कबूल किया । उनकी तरफसे पैरवी करनेके लिए कोई भी खड़ा नहीं हुआ था । वे अपनी इच्छासे ही जेल चले गये ।

इब्राहीम उस्मान

[ श्री इब्राहीम उस्मान ] पीट रिटीफ गये हैं, जहाँ उनकी दूकान है । यदि कोई उन्हें गिरफ्तार करे, तो वे गिरफ्तारीके लिए तैयार हैं ।

नेटालके कैदियोंका सन्देश

श्री पोलक मंगलवारको श्री दाउद मुहम्मद आदिसे मिले थे । वे सब मजे में हैं । श्री दाउद मुहम्मद तथा रुस्तमजीके बदनपर आने योग्य कपड़े जेलमें न होनेके कारण उनके लिए खास कपड़े तैयार किये जा रहे हैं । बाकी लोगोंको काम सौंप दिया गया है । सभी में बहुत उत्साह और साहस है । वे आशा करते हैं कि हम बाहरवाले लोग बराबर काम करते रहेंगे ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-९-१९०८
२०. भेंट : रायटरको

जोहानिसबर्ग

सितम्बर १६, १९०८

आज रायटर के एक प्रतिनिधिने श्री गांधीसे भेंट की । श्री गांधीने उससे कहा कि भारतीय एक ऐसा प्रवासी कानून स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, जिसमें किसी यूरोपीय भाषा में शिक्षा परीक्षाको व्यवस्था हो । यह परीक्षा कितनी कड़ी हो, इसका निर्णय वे जनरल स्मट्सकी मर्जी पर छोड़ देने को तैयार हैं । परन्तु जब एक बार कोई भारतीय उपनिवेशमें आ जाये, तब उसे कानूनी समानता मिलनी चाहिए । इसका अर्थ है कि १९०७ का कानून रद किया जाना चाहिए । श्री गांधीने कहा कि भारतीय इस बातसे इनकार करते हैं कि वे शिक्षाके सम्बन्धमें कोई नया मुद्दा उठा रहे हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडिया, २५-९-१९०८