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२४. पत्र : जेल-निदेशकको

[ जोहानिसबर्ग ]

सितम्बर १८, १९०८

जेल-निदेशक'
प्रिटोरिया
महोदय,

भारतीय कैदियों को भोजन-तालिकाके सम्बन्ध में आपका तार संख्या ४५६ प्राप्त हुआ । यदि आप कृपापूर्वक छोटी और लम्बी सजा पाये हुए भारतीय और अन्य कैदियोंके लिए स्वीकृत तालिकाको एक प्रति मेरे पास भेज देंगे तो मेरा संघ आभारी होगा ।

इसके अतिरिक्त मैं आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि इस आन्दोलन के सिलसिले में मैं स्वयं प्रिटोरिया जेल में था और तब कैदियोंको किसी खास प्रार्थनाके बिना घी मिलता था । मैंने यह भी देखा कि भारतीय कैदियोंको, जो हमें प्रिटोरिया जेलमें मिले थे, घी मिलता था । जोहानिसबर्ग के कैदियोंका भी कहना है कि उन्हें प्रारम्भसे ही घी मिलता था और सब भारतीय कैदियों को, जो एशियाई कानूनके अन्तर्गत मुकदमा आरम्भ होनेके समय जोहानिसबर्ग जेल में थे, घी मिलता था । एक कैदीका कहना है कि उसने वास्तवमें वह छपी हुई तालिका पढ़ी थी जिसमें मक्कोके दलिये और चर्बीकी जगह ४ औंस चावल और १ औंस घी दिया जानेका उल्लेख था । मेरे संघका यह भी कहना है कि भोजन-तालिकाका, जो छपी हुई थी, जोहानिसबर्ग में जेलके अधिकारियों द्वारा इतनी कड़ाई से पालन किया जाता था कि चोनी कैदियोंको मक्कीका दलिया और चर्बी दी जाती थी, क्योंकि वे चावलको उस तालिका में शामिल नहीं किये गये थे जो भारतीय कैदियोंके लिए निश्चित की गई थी। इसलिए यदि आप कृपापूर्वक जाँच करके आवश्यक राहतके लिए आज्ञा जारी करें तो मेरा संघ कृतज्ञ होगा ।

मैं आपका ध्यान एक बार फिर इस तथ्यको ओर दिलाता हूँ कि किसी मुसलमान या शाकाहारी हिन्दूके प्रति उसके भोजनमें पशुको चर्बी शामिल करनेसे बड़ा कोई और अपराध नहीं हो सकता । मैं इतना और कहना चाहता हूँ कि हाल में ही जोहानिसबर्ग जेल से रिहा होकर आये कैदियोंने मेरे संघको बताया है कि उन्हें अपनी चावलकी खुराकके साथ १ औंस घी मिलता था ।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

अ० मु० काछलिया

अध्यक्ष

ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३-१०-१९०८

१. डायरेक्टर ऑफ प्रिजन्स ।

२. देखिए खण्ड ८, पृष्ठ १४३-४९ ।