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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अधिनियम ( रजिस्ट्रेशन ऐक्ट ) के पेश किये जाने से उन्होंने यह दिखा दिया है कि अपने उद्देश्य में दृढ़ विश्वास और साहससे क्या किया जा सकता है। श्री ईसप मियाँ केवल ट्रान्सवालके ही नहीं, बल्कि सारे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके धन्यवाद के पात्र हैं। उनका भार श्री काछलिया के योग्य कन्धोंपर आ पड़ा है । श्री काछलिया भारतीय दलके तपे हुए सैनिक हैं उन्होंने अपने ध्येयके लिए कारावास भोगा है। उन्होंने पूरे मनसे काम किया है और वे सदा श्री ईसप मियाँके योग्य सहयोगी रहे हैं। सभी मानते हैं कि श्री ईसप मियाँका स्थान लेनेके लिए वे सबसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति हैं । हम आशा करते हैं कि वे समाजकी अपेक्षाओंको पूरा करेंगे। उनका काम बहुत कठिन है । भारतीय नौका अब भी तूफानी समुद्र में फँसी हुई है । और उन्हें अपनी समस्त शक्ति, धैर्य और शान्तिकी तथा जनसाधारणसे सुलभ सारे सहयोगकी आवश्यकता होगी ।

[ अंग्रेजी से ]
इंडियन ओपिनियन, १९-९-१९०८

२७. नेटालका मामला

नेटालके भारतीयोंको बहुत सोच-विचार कर चलना चाहिए। प्रार्थनापत्रों और सभाओंसे दिन बदलनेवाले नहीं हैं । प्रार्थनापत्रोंके पीछे बल होना चाहिए ।

न्यूकैसलका परवाने (लाइसेंस) का मामला विचार करने योग्य है। उसके अनुसार नगरपालिकाओंको अमुक प्रकारके ही परवाने देनेका हक है । उनमें से भिन्न प्रकारके परवाने सन् १८९७ के कानून [१८] के अन्तर्गत मिल सकते हैं । अब ऐसा कहा जा सकता है कि १८९७का कानून नगरपालिकाओंकी सत्ता बढ़ा नहीं सकता । यानी, नगरपालिकाओंकी सत्ता कम हो गई । इससे हमें कुछ सुविधाएँ मिल सकती हैं ।

इस कारण नेटालकी सरकारने एक नया विधेयक (बिल) तैयार किया है, जिसका उद्देश्य न्यूकैसल के इस मुकदमे [ से प्राप्त लाभ ] को धो डालना है। इसका कड़ा विरोध करनेकी आवश्यकता है । नेटालको संसद तो [ हमारे ] प्रार्थनापत्रको रद्दीकी टोकरी में फेंक देगी । बड़ी सरकार भी हमारी कुछ सुनेगी नहीं । यानी ऐसे दिन आये हैं कि एक तरफ कानूनके क्षेत्रमें शायद हमें विजय मिले तो दूसरी तरफ संसद हमारी उस विजयपर पानी फेर दे ।

इसका एक ही इलाज है कि हमें अपने बलपर लड़ना चाहिए । यह बल है सत्याग्रह । नेटालके व्यापारियोंको परवाना लिये बिना व्यापार करना चाहिए ।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, १९-९-१९०८

१. सन् १८५० के अध्यादेश ३ के अन्तर्गत ।

२. विक्रेता परवाना-कानून (डीलर्स लाइसेंसेज ऐक्ट ) ।

३. नये कानून बनाकर ।