२८. पत्र :अखबारोंको
जोहानिसबर्ग
सितम्बर १९, १९०८
मैंने जेल-निदेशकको एक पत्र लिखा है, जिसकी प्रति प्रकाशनार्थं आपकी सेवामें भेज रहा हूँ । ब्रिटिश भारतीय संघने स्वेच्छया कष्ट सहना तय किया है और ब्रिटिश भारतीयोंको भी वैसी ही सलाह दी है । लेकिन, मैं नहीं जानता कि साथके पत्र में जिस बरतावका विवरण दिया हुआ है, वह उपनिवेशियोंकी मनुष्यताको शोभा देता है या नहीं । हम नहीं चाहते कि हमारे साथ विशेष कैदियों-जैसा व्यवहार किया जाये, लेकिन इतना तो चाहते ही हैं कि इस प्रबुद्ध देश में ब्रिटिश भारतीय कैदियोंसे थोड़ी मानवताका बरताव हो ।
आपका,आदि,
अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ
२९. पत्र : जेल-निदेशकको
[ जोहानिसबर्ग ]
सितम्बर १९, १९०८
मेरे संघको सैयद अली नामक एक ब्रिटिश भारतीयका, जिन्होंने हालमें बॉक्सबर्ग में जेलकी सजा भुगती है, गुजरातीमें लिखा पत्र मिला है । मैं नीचे इस पत्रके महत्त्वपूर्ण अंशका स्वतन्त्र अनुवाद दे रहा हूँ । यह पत्र इसी १७ तारीखको स्प्रिंग्जसे लिखा गया है ।
मैं अपने और आपके बीच ईश्वरको साक्षी बनाकर यह लिखता हूँ । १९ अगस्त, १९०८ को मजिस्ट्रेटने, परवाने (लाइसेंस) के बिना व्यापार करने के जुर्म में, मुझे १० [शि०]
१. यह जेल-निदेशक के नाम लिखे गये पत्रके साथ प्रकाशित किया गया था; देखिए अगला शीर्षक । रेंड डेली मेलने इसे " जेलका जीवन : एक भारतीयकी शिकायत : काफिरोंसे भी बुरा बरताव " शीर्षकसे २१-९-१९०८ के अंकमें प्रकाशित किया था । पत्र-व्यवहार २६-९-१९०८ के इंडियन ओपिनियन में भी छपा था ।
२. डायरेक्टर ऑफ प्रिजन्स ।