व्यक्ति से अत्यन्त गन्दा काम कराया गया है तब उनके मनमें जो कड़वाहट और नाराजी पदा होगी उसपर कुछ कहने की जरूरत नहीं ।
आपका आज्ञाकारी सेवक
अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ
३०. पत्र : डब्ल्यू० हॉस्केनको
जोहानिसबर्ग
सितम्बर १९, १९०८
एशियाई इस समय जिस भारी संघर्ष में रत हैं उसमें आप साम्राज्य-प्रेमी तथा ईसाई सज्जन होने के नाते जो कृपापूर्ण दिलचस्पी ले रहे हैं, उसके लिए हम, नीचे हस्ताक्षरवाले लोग, आपके बहुत आभारी हैं ।
आपने आज अपने कार्यालयमें बुलाई गई बैठकमें, जिसमें श्री कार्टराइट, श्री पोलक तथा हम लोग उपस्थित थे, हमें बताया था कि एशियाई कौमें, जिनका अधिकांश भाग ब्रिटिश प्रजाजन हैं, जो उत्पीड़न सह रही हैं उससे जनरल स्मट्सको सचमुच दुःख है । हम इस भावनाकी सराहना करते हैं । आपने यह भी कहा था कि जनरल स्मट्सका खयाल है, उन्हें हमारी माँगको पूरा करने में कोई अपरिहार्य कठिनाई न होगी । इसलिए हम निम्न निवेदन करते हैं :
जनरल स्मट्स तथा प्रगतिवादी विरोधी दलकेर नेताओंको यह वचन देना चाहिए कि संसदके आगामी अधिवेशनमें एशियाई कानून रद कर दिया जायेगा और ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) के द्वारा की गई प्रार्थनाके अनुसार उच्च-शिक्षा प्राप्त भारतीयोंका दर्जा सुरक्षित कर दिया जायेगा ।
जहाँतक दूसरे प्रश्नकी बात है अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करनेके लिए, मान लीजिए, वर्ष में केवल छः ही ऐसे भारतीयोंको प्रवेश दिया गया तो भी हमें पूरा सन्तोष हो जायेगा । इसलिए महत्त्वका मुद्दा तो यह है कि वे सामान्य शैक्षणिक कसौटीके अन्तर्गत प्रवेश पाने में समर्थ हों । किसी प्रकारका कानूनी भेदभाव नहीं होना चाहिए । यदि कानूनपर अमल इस तरह किया जाये कि
१. दक्षिण आफ्रिकी व्यापार मण्डल संघ (असोसिएशन ऑफ चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऑफ साउथ आफ्रिका) के भूतपूर्व अध्यक्ष । दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीयों के मामलेसे उनकी सहानुभूति थी । देखिए खण्ड ७, पृष्ठ १०८ और ४७३ और खण्ड ८, पृष्ठ २६ । २. ट्रान्सवाल- संसदमें एक राजनीतिक दल ।