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भाव-विलास/चतुर्थ विलास

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भाव-विलास
देव, संपादक लक्ष्मीनिधि चतुर्वेदी

वाराणसी: तरुण भारत ग्रंथावली कार्यालय, पृष्ठ चतुर्थ-विलास से – ९६ तक

 

 

 

चतुर्थ विलास

 

[नायक और नायिका]

[पररतिदुःखिता, प्रेमगर्विता, रूपगर्विता और मानवती ये चार भेद स्वकीयादि नायिकाओं के और होते हैं। इन सब नायिकाओं की आठ अवस्थाएँ भी होती हैं—वे ये हैं:—१—स्वाधीना २—उत्कंठिता ३—बासकसज्जा ४—कलहंतरिता ५—खंडिता ६—विप्रलब्धा ७—प्रोषितप्रेयसी और अभिसारिका प्रकृति के अनुसार इस सबके उत्तमा, मध्यमा और अधमा ये तीन तीन भेद और भी हैं]
नायक
अनुकूल
दक्षिण
शठ
धृष्ट
 

नायिका
स्वकीया
परकीया
गणिका या सामान्या
मुग्धा
मध्याप्रगल्भा[प्रौढ़ा]प्रौढ़ा
कन्यका
वयःसन्धिनववधूनवयौवनानवलअनङ्गासलज्जरति
रूढ़यौवनाप्रादुर्भूतमनोभवाप्रगल्भवचनाविचित्रसुरता
लब्धापतिरतिकोविदाआक्रान्तनायकासविभ्रमा
गुप्ताविदग्धालक्षिताकुलटाअनुसयनामुदिता
[वाक्‌विदग्धा; क्रियाविदग्धा]