भ्रमरगीत-सार/१५९-स्याम विनोदी रे मधुबनियाँ

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राग सोरठ
स्याम विनोदी रे मधुबनियाँ।

अब हरि गोकुल कांहे को आवहिं चाहत नवयौवनियाँ॥
वे दिन माधव भूलि बिसरि गए गोद खिलाए कनियाँ।
गुहि गुहि देते नंद जसोदा तनक कांच के मनियाँ[१]
दिना चारि तें पहिरन सीखे पट पीतांबर तनियाँ[२]
सूरदास प्रभु तजी कामरी अब हरि भए चिकनियाँ[३]॥१५९॥

  1. मनियाँ=गुरिया।
  2. तनियाँ=तनी, कुरती।
  3. चिकनियाँ=छैला।