भ्रमरगीत-सार/१५८-मधुकर! ल्याए जोग-संदेसो
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बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १४४ से – १४५ तक
भली स्याम-कुसलात सुनाई, सुनतहिं भयो अंदेसो॥
आस रही जिय कबहुँ मिलन की, तुम आवत ही नासी[१]।
जुवतिन कहत जटा सिर बांधहु तो मिलिहैं अबिनासी॥
तुमको जिन गोकुलहिं पठायो ते बसुदेव-कुमार।
सूर स्याम मनमोहन बिहरत ब्रज में नंददुलार॥१५८॥