[ १४४ ]
भली स्याम-कुसलात सुनाई, सुनतहिं भयो अंदेसो॥ आस रही जिय कबहुँ मिलन की, तुम आवत ही नासी[१]।
जुवतिन कहत जटा सिर बांधहु तो मिलिहैं अबिनासी॥ तुमको जिन गोकुलहिं पठायो ते बसुदेव-कुमार। सूर स्याम मनमोहन बिहरत ब्रज में नंददुलार॥१५८॥