भ्रमरगीत-सार/१५८-मधुकर! ल्याए जोग-संदेसो

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राग रामकली
मधुकर! ल्याए जोग-संदेसो।

भली स्याम-कुसलात सुनाई, सुनतहिं भयो अंदेसो॥
आस रही जिय कबहुँ मिलन की, तुम आवत ही नासी[१]

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जुवतिन कहत जटा सिर बांधहु तो मिलिहैं अबिनासी॥
तुमको जिन गोकुलहिं पठायो ते बसुदेव-कुमार।
सूर स्याम मनमोहन बिहरत ब्रज में नंददुलार॥१५८॥

  1. नासी=नष्ट की।