भ्रमरगीत-सार/१८-हमसों कहत कौन की बातें
दिखावट
हमसों कहत कौन की बातें?
सुनि ऊधो! हम समुझत नाहीं फिरि पूँछति हैं तातें॥
को नृप भयो कंस किन मार्यो को वसुद्यौ-सुत आहि?
यहाँ हमारे परम मनोहर जीजतु हैं मुख चाहि[१]॥
बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ ९५ से – ९६ तक
सुनि ऊधो! हम समुझत नाहीं फिरि पूँछति हैं तातें॥
को नृप भयो कंस किन मार्यो को वसुद्यौ-सुत आहि?
यहाँ हमारे परम मनोहर जीजतु हैं मुख चाहि[१]॥